Dard Ik Ehsas दर्द इक एहहसास Poem by milap singh bharmouri

Dard Ik Ehsas दर्द इक एहहसास

दर्द इक एहसास ही तो है
राहत की आस ही तो है

हम नहीं इससे मुतािसर
हमको यह रास ही तो है

िजगर में होती है हलचल
यह इक प्यास ही तो है

ये है गर्मी का इक सबब
ये भी इक सांस ही तो है

याद आता है खूदा सबको
लम्हा यह खास ही तो है

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