Dil Ki Awaaj Poem by Ritesh Mishra

Dil Ki Awaaj

दिल तो दिल की धरकन सुनता, कोई प्यार नहीं इकरार करता

ये समा हमारे दिल की दर पर, रोज साम जला करता

दिल खुशियों की बाग़ सदा, पतझर मे प्यार कोपल लाता

उन सोनपरित मोहित मन को, दिल की कश्ती कोई मिल पाता

ह़र बार समुन्दर की लहरों पर, चाँद छाँव की ले आता

काली घनघोर घटा पर भी, ओ इन्द्रधनुष बना जाता

मन मे बहती जब तेज पवन, ओ प्यार की डाल पकर लेता

ओ सांस मोहब्बत का लेता, जिस पर जीवन बसा होता

कोई गीत नहीं पर गीत सदा, ओ प्यार की बस गाता रहता

Dil Ki Awaaj
Thursday, March 26, 2015
Topic(s) of this poem: dilemma
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Ritesh Mishra

Ritesh Mishra

Sitamarhi (Bihar)
Close
Error Success