एक ही डाल के पंछी Ek Hi Daal Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

एक ही डाल के पंछी Ek Hi Daal

एक ही डाल के पंछी

मंज़िल ना हो पास तो भी क्या बात है?
और पास होकर भी दूर हो तो क्या गम है
दिल तो है धड़कने के लिए
मजे तो है लूटने के लिए।

हर चीज़ का वक्त होता है
रात को आदमी सोता है
सुबह होते ही उसे मालुम पड़ता है
की वो जिन्दा है या मुर्दा है।

हम तो मन पर राज करेंगे
दिल की बात करते रहेंगे
मंज़िल मिले या ना मिले
क्यों रखे हम शिकवे या गीले?

कविता बन गयी सोचते सोचते
शब्द आते गए लिखते लिखते
कई बार सोचे इस बात को ना लिखे?
पर कोई बात सीखना चाहे तो कैसे सीखे?

होना तो वोही था जो भाग्य में था
जो मिल गया वो एक सौभाग्य था
किस को मिलता है मनचाहा साथी?
हम सब तो है एक ही डाल के पंछी।

एक ही डाल के पंछी  Ek Hi Daal
Tuesday, May 3, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

होना तो वोही था जो भाग्य में था जो मिल गया वो एक सौभाग्य था किस को मिलता है मनचाहा साथी? हम सब तो है एक ही डाल के पंछी।

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welcome panchanand singh Unlike · Reply · 1 · 30 mins

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webirendra jhalcome Unlike · Reply · 1 · Just now today by hasmukh amathalal

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x welcome rajesh verrma Unlike · Reply · 1 · 1 min today

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कैलाश दान चारण nice See Translation Unlike · Reply · 1 · 52 mins

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Rampal Aada Rampal Aada अनुपम भावाभिव्यक्ति- See Translation Unlike · Reply · 1 · 42 mins

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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