ज्ञान से ज्ञान का दीप जलना है (GYAN SE GYAN KA DEEP JALANA HAI) Poem by Nirvaan Babbar

ज्ञान से ज्ञान का दीप जलना है (GYAN SE GYAN KA DEEP JALANA HAI)

सुबह सवेरे जागें हम बच्चे,
चलो स्कूल अब जाना है,

मंजन कर, स्नान फिर करके,
तैयार हमें हो जाना है,

पड़ना है हमको मन लगाकर,
बड़ों का मान बढाना है,

खेल - खेल मैं सीख मिलेगी,
कई खेल खेलते जाना है,

हमको अब पढना है इतना,
ज्ञान से ज्ञान का दीप जलना है,

निर्वान बब्बर

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