हमको खूब सताया है hamko khub Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हमको खूब सताया है hamko khub

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हमको खूब सताया है

दिल ना सोया
फिर खूब रोया
आँखों में उसका रूप समाया
दिल उसे कभी भुला ना पाया।

दिल रहता था खोया खोया
सामने उसको जब ना पाया
ये मेरी किस्मत ना बन पाया
जब भी याद किया, खूब रुलाया।

उसका दुर रहना, मनको ना भाया
मन ने भी अपना अफ़्सोस जताया
सपने me भी भुला ना पाया
सामने आयी तो कह ना पाया।

अब तो आ जा, नजरो के सामने
दुःख दुर कर दे, जो दिये है aapne
मेरी नजरें उपर देखती है
जाने उसमे क्या, क्या ढूंढती है?

तुम ही बता दो, इसका इल्म क्या है?
साथ में कह दो मेर झुलम क्या है?
नजरे तो सामने आ के मिला दो
गीले शिकवे है तो जड़ से मीटा दो

अब तो आ जा, नजरो के सामने
दुःख दुर कर दे जो दिये है अपने
मेरी नजरें उपर देखती है
जाने उसमे क्या, क्या ढूंढती है?

तुम ही बता दो, इसका इल्म क्या है?
साथ में कह दो मेर झुलम क्या है?
नजरे तो सामने आ के मिला दो
गीले शिकवे है तो जड़ से मीटा दो

में अनजान महोब्बत की राहपर
आंसू भी थमते नही मेरी आहपर
कुछ तो रहेमकर, मेऱी दीवानगीं पर
में तो अनभिग्न हूँ अपनी आवारगी पर।

तुम ही बता दो, इसका इल्म क्या है?
साथ में कह दो मेरा झुलम क्या है?
नजरे तो सामने आके मिला दो
गीले शिकवे है तो जड़ से मीटा दो

कुछ तो है तेरे छुपने का राज
में नहीं बांट सकता सब के साथ
हम दोनो का एक नजरिया है
ज़माने ने हमको खूब सताया है

Thursday, May 8, 2014
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

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Mohan Lohani The picture speaks for itself 3 mins · Unlike · 1

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Geeta Pandey and Jagdeesh Aathiya like this.

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welcome arpita sharma 3 secs · Unlike · 1

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Inderjeet Kaur shared your photo.

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Preet Singh likes this.

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Mukesh Sharma bahut khoob 2 hrs · Unlike · 1

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Akhilesh Singh shared your photo.

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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