Hindi Ka Avishkar - हिन्दी का आविष्कार Poem by Abhaya Sharma

Hindi Ka Avishkar - हिन्दी का आविष्कार



हमको तुझ से प्यार है भाषा
भारत की अब एक ही आशा
सबको एक साथ लेकर जब
हिन्दी फिर आगे आयेगी
नई क्रांति की किरण फूट कर
विश्व पटल पर छायेगी!
 
भांति-भांति के प्रांत-प्रांत में भारतवासी
जब हिन्दी को गले लगायेंगे
एक छवि निखर कर आयेगी
जग देखेगा यह सोचेगा
भारत कितना बदल गया है
एक छोटे से अंतराल में!
 
हम तुम सब संकल्प करें
हिन्दी भाषा के प्रचार में
दुविधायें कितनी भी आयें
हम कोई कसर ना छोडेंगे
संदेह नही है मेरे मन में
हम पुनः नया इतिहास रचेंगे

हमको ऎसा कुछ करना है 
हिन्दी को सरल बनाना है
समझ सकें सब भारतवासी
बिना किसी दिक्कत के जैसे
हिन्दी से हिन्दुस्तान बने
जग में हिन्दी का मान बढ़े!
 
मेरे मन में कुछ प्रश्नों के
उत्तर पहले आ जाते हैं
कभी उत्तर प्रश्न खोजते हैं
हिन्दी ऎसा ही उत्तर है
कि जिसका प्रश्न नही मिलता
यह जाकर हम अब किसे कहें!
 
पता नही चलता हिन्दी का
क्यों होता भारत में बहिष्कार
क्यों हिन्दी हमें नही स्वीकार
यह अंतर्मन की है पुकार
आगे बढ़कर फिर एक बार
हिन्दी का आविष्कार करें!  

अभय शर्मा

POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This was presented at one of the inter-DAE Hindi poetry competition..
COMMENTS OF THE POEM
Srikanth 03 June 2018

Hindi is not superior to Assamese, Marathi or Telugu, or for that matter, any of the other recognized languages in the Constitution. While I respect your love for your mother tongue, please don't force it on the rest of India.

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Bijnor, UP, India
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