हिन्दुस्तान ख़तरे में (India...under threat) Poem by Pawan Kumar Bharti

हिन्दुस्तान ख़तरे में (India...under threat)

जागो देश के सपूतों तुम्हारी आन ख़तरे में!
जिसका रौब दिखाते हो वो शान ख़तरे में! !
हर चीज़ पे ही जैसे पड़ गयी हो गिद्धड़ृष्टि!
लगता है जैसे सारा हिन्दुस्तान ख़तरे में! !
देश की सेना की हालत लगती है इतनी तंग!
बिन गोले बारूद के कैसे लड़ पाएँगे जंग! !
सीमा की रखवाली करता जवान ख़तरे में! !
लगता है जैसे.......
बजट की बंदर बाँट हुई, और घोटाले कर गये!
उधर कई लाचार किसान जहर खाकर मर गये! !
अन्न दाता कहलाने वाला किसान ख़तरे में! !
लगता है जैसे.......
पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण, अपनी का तिरस्कार!
देश मे रहके क्यूँ नही मिलता नोबेल पुरूस्कार! !
भारत की संस्कृति, सभ्यता और विज्ञान ख़तरे में! !
लगता है जैसे........

Sunday, June 29, 2014
Topic(s) of this poem: patriotism
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This is the current status of our country and its important contents.
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