जीवन-क्षणभंगुर.. Jivan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

जीवन-क्षणभंगुर.. Jivan

Rating: 5.0

जीवन-क्षणभंगुर
बुधवार, ६ अगस्त २०२०

प्रेमभाव ओर आदर
स्वीकार कीजिए सादर
जीवन की इसमें छिपी है मिठास
आपको जरूर होगा इसका एहसास।

आपका थोडा सा नमन
छू लेगा सामनेवाले का मन
दिल से देगा आपको सन्मान
आप सोचिए इसके बारे में श्रीमान।

यदि जीवन क्षणभंगुर है
तो फिर मन मे इतना गुरूर क्यों है?
किस बातपर आपको इतनी अकड़ है!
माया की आपपर इतनी पकड़ है?

सोचो! पलभर की आप का बुलावा आ गया है
आप को कोई एक चीज मांगने को कहा गया है
आप कहोगे "सातवे मालेपर में बैठकर अपने पोतों को देखना चाहता हूँ "
यदि आप संयमित जीवन के प्राथि है तो भगवान कहेंगे " जा में वचन देता हूँ"

यह तो एक दृष्टांत है
जीवन का एक वृतांत है
जीवन अर्थांत अंत है
प्रभु की माया अनंत है।

डॉ. जाडिआ हसमुख

जीवन-क्षणभंगुर.. Jivan
Thursday, August 6, 2020
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 06 August 2020

Poem: 58915100 - जीवन-क्षणभंगुर.. Jivan Member: Sharad Bhatia Comment: जी, जीवन ईश्वर का दिया एक सुन्दर रूप हैं, . मत गवां जिंदगी के हसीन पल, क्यूंकि इसी से बनता जीवन जो हम सब का एक बेहतरीन स्वरुप है

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Mehta Hasmukh Amathalal 06 August 2020

ate & Time: 8/6/2020 2: 34: 00 AM Remove this comment Poem: 58915100 - जीवन-क्षणभंगुर.. Jivan Member: Varsha M Comment: Aabhar aapke sandesh bhare kavya ke liye. Bakhoob nibhaya aapne sabdo ke samanway me.

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Varsha M 06 August 2020

Aabhar aapke sandesh bhare kavya ke liye. Bakhoob nibhaya aapne sabdo ke samanway me.

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Sharad Bhatia 06 August 2020

जी, जीवन ईश्वर का दिया एक सुन्दर रूप हैं, . मत गवां जिंदगी के हसीन पल, क्यूंकि इसी से बनता जीवन जो हम सब का एक बेहतरीन स्वरुप है

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Mehta Hasmukh Amathalal 06 August 2020

जीवन अर्थांत अंत है प्रभु की माया अनंत है। डॉ. जाडिआ हसमुख

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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