कभी न छोड़ना.. kabhi n chhodna Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कभी न छोड़ना.. kabhi n chhodna

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कभी न छोड़ना

मिलेगा काम तो होगा नाम
नहीं तो ऐसे ही मर जायेंगे गुमनाम
यदि पैसे ज्यादा भी है तिजोरी में
देना पड़ेगा सबको मज़बूरी में

जिस के जिस के पास हुन्नर है
वो उत्तम नारी और नर है
वो कलाकार है या तो चित्रकार है
जो कुछ भी नहीं उसपर सिर्फ धिक्कार है

कुछ भी बन जाओ, बस बनकर दिखाओ
व्यंगकार, कहानीकार, और पत्रकार भी बन जाओ
ज्यादा तरंगी सोच है तो कविराज बन जाओ
सिर्फ खाने के ज़िंदा ' गजराज ' कभी ना बन जाओ

आपने ये सुना होगा और अक्सर सुनने में भी आया होगा
सब दारोमदार पूज्य माताजीका ही गिना गया होगा
'जननी जन जे (जन्म दीजे) भक्त जन, या तो दातार और शूरवीर'
'या तो रहजाना पुत्रविहीन पर मत गुमाना अपना नूर'

सब कुछ अपने हाथ में है
भाग्य का निर्माण हम ही कर सकते है
यदि होंसले है बुलंद तो किस भी बात का डर नहीं
मंजिल नहीं हो पास फिर भी ज्यादा दूर नहीं

सिफ हमें जीना है इंसानों की तरह
मजदूर ही, बाबू हो, पर न झगडे हम बेवजह
गरीब और तवंगर सब उपरवालेका खेल है
हमें तो बिठाना सिर्फ तालमेल है

तारे जमीं पर नहीं आ सकते
पर सितारे तो चमक सकते है
यदि हो लगन और विस्वास
तो कभी न छोड़ना अपनी आस

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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