कलम की स्याही Kalam Ki Syahi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कलम की स्याही Kalam Ki Syahi

कलम की स्याही

जीवन का सुख क्षणिक लगा
पर मुझे सब कुछ मिला जो भी माँगा
अब तमन्ना कोई भी नहीं बची
बस बिता देंगे बाकी की बची खुची। कलम की स्याही

मैंने ये तो जाना की प्यार में भी ताकत है
हर सफलता के पीछे एक औरत है
यही तो में बार बार कहता आया हूं
वो में कमजोरी जरूर है, पर में उसका साया हूँ। कलम की स्याही

में जब भी गुनगुनाता हूँ
एक ही चीज़ पाता हूँ
वो खुशनुमा और नूरानी चेहरा
ओर ऊपर से सब लगता है हरा हरा। कलम की स्याही

कुछ न कुछ बन जाता है
जब हाथ चित्र बनाता है
वो ही हावभाव जो असल में है
आँखे उनकी बोल उठती है 'सनम हम तो आपसे ही है' कलम की स्याही

वो तो कवि की एक कविता हो सकती है
पर मेरे लिए भाग्यविधाता है
ना जाने क्या हाल हुआ होता?
यदि आप ने हमें ठुकरा दिया होता। कलम की स्याही

कलम की स्याही भी सुख रही है
मुझे हमेशा साथ रहने की भूख रही है
तृष्णा तो में मिटा सकता हूँ
पर अपने आपको रोक नहीं पाता हूँ। कलम की स्याही

कलम की स्याही Kalam Ki Syahi
Thursday, October 13, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 October 2016

कलम की स्याही भी सुख रही है मुझे हमेशा साथ रहने की भूख रही है तृष्णा तो में मिटा सकता हूँ पर अपने आपको रोक नहीं पाता हूँ। कलम की स्याही

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 14 October 2016

xa welcome tarun h mehta Unlike · Reply · 1 · Just now 13 Oct by

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 14 October 2016

x welcoem maharshi tripathy Unlike · Reply · 1 · Just now 4 hours ago

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 14 October 2016

welcome manju bisht bisht Unlike · Reply · 1 · Just now 4 hours ago b

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 14 October 2016

x welcome nibha srivastav Unlike · Reply · 1 · Just now 4 hours ago

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 14 October 2016

x lilian dipasupil kunimasa Unlike · Reply · 1 · Just now 4 hours ago

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success