मेंरे मन को
Tuesday, April 24,2018
7: 51 AM
बड़ी सर्द रात थी
मन में एक मुराद थी
में तप रहा था ताव से
मन में उठा भावथा।
में तो तड़प रहां था
मन में मुराद लिए बैठा था
वो कब आ के पूछेगी?
मेरे सरपर गिला कपड़ा रखेगी?
लोग अपना हाथ सेक रहे थे
मैं अपना तकिया भिगो रहा था
उनके जज्बात अलग थे और निराले
मेरे आवेग ने मुझे कर दिए थे सब से अकेले।
सर्द हवा तो मिट जाएगी
पर मुझे शान्ति नही दिला पाएगी
मेरे को भावाओं के जल में बहा देगी
पर मन की शुद्धि नहीं दे पाएगी।
में नहीं कह सकता
मेरे विचार पावन है या विसकता
पर यही है मेरी मानसिकता
में तो रह गया सिर्फ अभिव्यक्ता।
मैंने तो मन के भाव व्यक्त कर दिए
अब उसका जताना उसके हाथ मे है
मेरे दिल में टीस सी उठ रही है
और सोचने पर मजबूर कर रही है
में बिना सर्द हवा काँप रहा
अपने आपको दिल्लगी से कोस रहा
लग रहावो दस्तक लगा रही है
मेंरे मन को उसकी भनक लग रही है।
welcome S.r. Chandrslekha 25 mutual friends Friend Friends Ujjal Saikia 2 mutual friends Friend Friends ့့့့့့ြြြြြျျျျျျျျျျျျျျျျျျျ ့့့့့ြြ့့ျျျျျျျျျျျျျျျျျျျ Friend Friends welcome Liza Abe
welcome Manisha Mehta 21 mutual friends Friend Friends
ribhawan Kaul :) _/\_ :) 1 Manage Like · Reply · 39m
S.r. Chandrslekha Lovely verses poet friend. Wow. 1 Manage Like · Reply · 5h
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welcome ့့့့့့ြြြြြျျျျျျျျျျျျျျျျျျျ ့့့့့ြြ့့ျျျျျျျျျျျျျျျျျျျ Friend Friends
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में बिना सर्द हवा काँप रहा अपने आपको दिल्लगी से कोस रहा लग रहावो दस्तक लगा रही है मेंरे मन को उसकी भनक लग रही है। Hasmukh Amathalal