मेरे हो अब ' Mere ho ab Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मेरे हो अब ' Mere ho ab

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'मेरे हो अब मेरे ही अब''

में अमीरी पीछे छोड़ आया
और फकीरी को साथ में लाया
लोगो ने कहा 'इस पे है छाया'
बुरी नजरवाली रात का साया'

चले ठंडी ठंडी, गुलाबी हवा
मे भी सोचु और करू परवा
इस से तो अच्छा में होता चरवाहा
लोगो से लुटत़ा, धन्यवाद और वाह वाह

पूछना किसी से मुझे गवारा नहीं
में धीर और गंभीर, पर आवारा नहीं
में खेल खेलैया, सबका चहेता
शांत जल जैसे, नदी में बहेता

सूरज निकला है, साथ में बादल की छाया
लोगो ने पूछा ' चेहरा क्यों मुरझाया '
बाते दिल की जान ना सके वो
हम ने भी ठानी 'जो चाहे कर लो '

चाँद का चेहरा चमक रहा है
मेरा चेहरा क्यों दमक खो रहा है?
चाँद तो जाने उसकी बाते
पर में सोता नहीं सारी राते

करूंगा आज में बाते पूरी
देखूंगा रह ना जाये अधूरी
मुझे सूरज सुनेहरा लगा है
आत्मा दिल से पूरा जगा है

जिन्दगी के सफ़र में जब तुम मेरे साथ हो
तो फिर हर्ज क्या है जब हाथ में हाथ हो?
मुस्कुराना कोई नयी बात तो नहीं है
दान्त जैसे खिलते गुलाब की कली है

हंसोगे ना कभी तुम मेरी इस बात पर
चल दिया था घर से येही बात सोच कर
मनाना चाहता था, पर न कह सका तब
आज तुम्ही कह दो 'मेरे हो अब मेरे ही अब''

COMMENTS OF THE POEM

Aakash Verma likes this.

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Gurdeep Singh Kohli and 6 others like this. Hasmukh Mehta welcome dinesh, prince, d c tamani, sanjeev, akash n arun a few seconds ago · Unlike · 1

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Milap Singh Bharmouri nice poem..59 minutes ago · Unlike · 1

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Anand Thapa Khubsurat 6 hours ago · Like

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4 people like this. Hasmukh Mehta welcome shiv mohan, anand, vinod n sham mathru ji a few seconds ago · Unlike · 1

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3 people like this. Hasmukh Mehta welcome danny, sagar n laxmi sing' a few seconds ago · Unlike · 1

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Gurdeep Singh Kohli ???? ??????. ?? ???? ?? ??? ???? ???. ??? 18 hours ago · Edited · Like

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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