Mere Maula, Mere Maula Poem by Rakesh Sinha

Mere Maula, Mere Maula

Rating: 4.0

मेरे मौला, मेरे मौला, इतना तू कर दे करम,
मेरे राम, वाहेगुरु, इतना तू कर दे करम |
देशभक्ति और इंसानियत को, बना दे तू सबका धरम |
सबके सिरों पर छत हो, सबके तन पर हों कपड़े,
कोई न भूखा-प्यासा, सबके दिलों में हो आशा |
अमीरी-गरीबी की दूरी, कम हो सारे जहाँ में,
खुशियों की रिमझिम फुहारें, बरसे हिन्दोस्तां में |
नफरत को दूर भगा दे, प्यार की ज्योत जला दे,
लालच दिलों से मिटा दे, सादगी-सच्चाई बसा दे |
बुद्ध की इस धरती पर, अहिंसा के फूल खिला दे,
भगतसिंह और राजगुरु सा, देशप्रेम जगा दे |
गंगा और जमुना के जल को, फिर से तू निर्मल बना दे,
जंगल हमारे सघन हों, सुंदर हमारा वतन हो |
मेरे मौला, मेरे मौला, इतना तू कर दे करम,
मेरे राम, वाहेगुरु, इतना तू कर दे करम |

Wednesday, September 24, 2014
Topic(s) of this poem: hope
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