कहाँ हो तुम इस जीवन की मझधार में
किन लोगों के बीच, इस मतलबी संसार में
लोग जो अँधेरे और अशांति के प्रतीक हैं
इसी नीले और शांति-रुपी आकाश में
कहाँ गया वो अदभुत ते़ज
समझ न सका मैं जिसका भेद
निडर निर्दोष सोच की प्रतिमा
संशय मुक्त हर्ष की महिमा
मुझे आज भी याद है वो दिन
जब मैने कहा था 'तुम मेरी दोस्त नहीं'
काश! वो पल वहीं ठहर जाता
पर इसमें उसका भी दोष नही
क्षमा! मेरे शब्दों के लिए
क्षमा! मेरी गलतियों के लिए
हे पवित्र आत्मा! हे विशुद्ध हृदय!
क्षमा! मेरी भूलों के लिए
मैं जानता हूँ समय के साथ
तुम ने ख़ुद को भी बदल डाला
डुबा के सूरज, कर दी रात
अंधेरे में एक ग़म को भी पाला
बस! अब बंद भी कर ये विलाप
इस अनमोल वक़्त को यूँ न जाने दे
टूटे ख्वाबों को जोड़ने से क्या लाभ
अपने मन से उनकों चले जाने दे
एक वजह है तुम्हारी खुशी के लिए
एक सूरज है अनंत प्रकाश के लिए
एक परिवार है साथ रहने के लिए
और एक मन, कैद से निकलने के लिए
सच बोलूँ तो कोई और भी है तुम्हारे साथ
समय के सागर में बहता एक तैराकी
अपना बचपन तुम पर न्यौछावर किया जिसने
तुम्हारी खुशी को ढूँढ रहा है जो
जिसे दुश्मन बना दिया न जाने किसने
जिसके सपनों को तुमने सजाया
त्याग का मतलब जिसे तुमने सिखाया
जिसकी सुल्झन की शक्ति हो तुम
जिसके जीवन की भक्ति हो तुम
अपने नाम में तुम्हारा नाम ढूँढता है वो
सांसों में तुम्हारा अहसास है जिसको
वो शब्द ढूँढ-ढूँढ कर थक चुका है
वो तुमसे दूर् रहकर थक चुका है
निःस्वार्थ है वो, शायद तुम जान सको
बदला नहीं है वो, अगर तुम पहचान सको
उसे उसकी दोस्त वापस दे देना
उसे अपना बचपन वापस दे देना
कुछ न देना चाहो अगर, फिर भी
अपने खुश होने का अहसास उसे दे देना
जी लेगा वो उस अहसास के साथ
जी लेगा वो तुम्हारी याद के साथ
साँसें तो चलती हैं उसकी, तुम्हारे बिन
जीना भी सीख लेगा वो उन सांसो के साथ