Politics Of A Great Election 'A Curse' Poem by Gaurav Pandey

Politics Of A Great Election 'A Curse'

ना तुम सही और ना हम गलत,
सारा वक्त बस यही बहस:
वोट के नाम पर कर दिया देश का व्यापार,
कोई चुप है RTI पे, किसी को है बांग्लादेशियों से प्यार,
किसी के SCAM उसकी उम्र से भी ज्यादा,
तो कोई कहता है की अब तो झूठे हैं अख़बार,
कोई परिवर्तन की दिशा दिखाकर, खुद 'नेता' बन जाता है,
हर चुनाव से पहले कुछ को राम, कुछ को अल्लाह याद हमेशा आता है.
बाबा और मौलाना भी जमे हुएं हैं इस बार.
सब कहते हैं तेरी सरकार या फिर मेरी सरकार,
कुछ यूँही हम मुद्दों से भटके हरबार,,
इन सबके के बीच जनता फिर से फंस गयी मेरे यार,
'प्रेम भरे इस देश में' चारोंओर मचा हुआ है,
बस हाहाकार हाहाकार. ~~~ Musafir

Monday, May 5, 2014
Topic(s) of this poem: political
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Tired of the elections now. We always lose to make a good environment during elections. I wish GOD or we will save our country. Jai Hind
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