प्यार की राहपर Pyaar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्यार की राहपर Pyaar

प्यार की राहपर

आकाश और जहाँ मिलता है
पर हमें नहीं दिखता है
उनके मिलने का आभास होता है
पर सच होने का एहसास नहीं होता है ।

मित्रो सच होने का दावा तो करते है
पर हम आज भी उनसे डरते है
कहीं सुन्दर सी बाते करके हमें धोखा ना दे जाय
मित्रता के नाम पर कालिख ना लगा जाय।

मिल तो जाते है सरेआम
ओर हो भी जाते है हमदम
जैसे सदियों से हम उन्हें जानते है
बारबार उन्हें हम दिल से देखा करते है।

जहाँ हमारा, वक्त भी हमारा
और कौन हो सकता है तुमसे ज्यादा प्यारा?
पर सुनलो कहना हमारा
जुदा ना होना कभी हमसे दोबारा!

वफ़ा को ना करना दफा
यही है जीवन का फलसफा
हो दिल सफा तो दुनिया लगे रंगीन
जीने का मकसद भी रहे सदा संगीन।

मिटा ना नहीं अपनी हस्ती खुद
तुम तो ऊपर हो सबसे और समृद्ध
अपनी पहचान है प्रेम के नाम पर
कर जाए ना सदा अमर प्यार की राहपर

प्यार की राहपर Pyaar
Saturday, July 29, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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मिटा ना नहीं अपनी हस्ती खुद तुम तो ऊपर हो सबसे और समृद्ध अपनी पहचान है प्रेम के नाम पर कर जाए ना सदा अमर प्यार की राहपर

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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