सोच अपनी जगह पे रहे Soch Apni Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सोच अपनी जगह पे रहे Soch Apni

सोच अपनी जगह पे रहे

रख सोच अपने पास
पर ना छोड़ उसकी तलाश
डग बढ़ा सही सोच के साथ
बटाऐंगे सब अपना हाथ।

सोच अपनी जगह पे रहे
उसका इस्तेमाल निगाह के सामने रहे
करे लोग विश्वास आपके कहने पर
ना उठायें सवाल कुछ पूछने पर।

लोगों को सोचने पर मजबूर करे
गलत आदत को दूर करें
कुछ नया करने की चाह में आगे बढे
अपने अधिकार के लिए हमेशा लडे।

पर ऐसी सोच के पीछे एक आदर्श हो
लोगों को भी सहर्ष स्वीकार हो
ना करे मनमानी कोई जोश में
सब कुछ चले शांति से नाकी कोई रोष में।

छटक जाय यदि अकल की कमान
फिर तो हो जाएगा कमाल
लोग कहने लगेंगे 'यह तो है पागलपन'
कहा लगता है इसमें अपनापन।

होश भी हो ओर रोष भी
हाथ में हो पकड़ और भरपूर हो कोष भी
सब को लगे आगे कोई दिक्कत नहीं
बस अब तो संग्राम ही अपना मकसद सही।

सोच अपनी जगह पे रहे Soch Apni
Wednesday, December 7, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 08 December 2016

x aqdas majeed Unlike · Reply · 1 · Just now today by

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Mehta Hasmukh Amathalal 08 December 2016

x jairam tiwari Unlike · Reply · 1 · Just now today

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Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2016

tarun h mehta Unlike · Reply · 1 ·

0 0 Reply
Mehta Hasmukh Amathalal 07 December 2016

होश भी हो ओर रोष भी हाथ में हो पकड़ और भरपूर हो कोष भी सब को लगे आगे कोई दिक्कत नहीं बस अब तो संग्राम ही अपना मकसद सही।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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