Yy Kahaani (Hindi) Poem by Dr Tapan Kumar Pradhan

Yy Kahaani (Hindi)

Rating: 5.0

कहानी

कहानी लिखते लिखते उन्होने
....... कविता एक लिख डाली:

ताजे फूलोँ की महक
............तितलियोँ का उतावला रंग
आसमान का अपनापन
............समुन्दर का आकर्षण


और दूर कोयलिया की कुहु कुहु कुहु सुमधुर तान -
इस मेँ क्या कभी कोई कहानी लिख सकता है? ?





कविता लिखते लिखते उन्होने
........ कहानी एक लिख डाली:


छोटी लडकी की शादी
............ बडे लडके की बेरोज़गारी
च्न्दावालोँ की ज़ुल्म
............ मक़ान-मालिक की ताकीद


और दिनरात वही पुरानी औरत की खिटमिट खिट्मिट बातेँ -
इस मेँ क्या कभी कोई कविता लिख सकता है? ?




कविता – कहानी की चक्कर मेँ वह
........ अपने आप को ही भूल गये:


मन्दिर – मसज़िद का झगडा
............ पार्लियामेँट का हल्ला शोर
निठारी का नर-कंकाल
............ कालाहाण्डी की चीख-पुकार



और बाजार मेँ तेज बढती तेल दाल चावल की दरेँ
सब - सब कुछ भूल गये: -

कहानी लिखते लिखते वह खुद एक
कहानी सी बन गए ।

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POET'S NOTES ABOUT THE POEM
The poem was later translated by the poet into English as 'Man, Poet, Novelist'
COMMENTS OF THE POEM
Savita Tyagi 13 July 2013

??? ??? ??? ?? ? Enjoyed it.

5 0 Reply
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Dr Tapan Kumar Pradhan

Dr Tapan Kumar Pradhan

Bhubaneswar, Odisha, India
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