Sachin Negi Poems

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1.
घर

तेरी इस करवट ने ए-कुदरत,
मेरा आशिंया उजाड़ा हैं,
पर समझ ना मुझे कमज़ोर तु,
देख कैसे मैने खुद को सम्भाला हैं,
...

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