Dr. Sandeep Kumar Mondal Poems

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11.
Crippled

Oh my crippled love,
pots of sin, full of avarice,
sleep of sloth and luxury,
dreams of burning desire.
...

12.
My God

I cry, I laugh
the way you see,
I admire on the behalf of your majesty.
...

13.
Charitraheen

Notun shokal dekhle jake,
bhoe pawae protidin.
Shei shokal ke apon kore,
ami charitraheen.
...

14.
कामियाबी

चख कर देखो कभी तुम,
की बहुत मीठी होती है कामियाबी I
जो कहते हैं बहुत चख लिए,
वो झूटी होती है कामियाबी I
...

15.
उनका नंबर आया ही नहीं

उनका नंबर आया ही नहीं,
क्या करू हमे कोई और भाया ही नहीं,
तकती रही रात भर वो अधूरी आंखें,
पलकों को उमड़े आँखों से लगाया ही नहीं I
...

16.
আজ আসি

ভেবেছিলাম হয়ে তো বলবে আমায়,
থেকে যায় আর কয়েকটা দিন,
বলবে না তুমি, জানি আমি,
অভিমান নয়, হয়ে তো অন্য কিছু,
...

17.
अहाना

जब गुम हो जाते हो अलफ़ाज़,
जब थिरकती गुनगुनाती कानो में दस्तक देती,
सांसो की आवाज़,
जब कौन्दति हो सोच, खुद से पूछती,
...

18.
तलाश

न जाने कितने दरख्वास्त आते हैं रोज़,
हुज़ूर-ए-कम्बखत मुनीम बना बैठा है I

हिसाब रखने की इसे आदत कहाँ,
...

सपनो में सपने देखे हैं मैंने
कुछ अनछुए तो कुछ नागिन सी दस्ते हुए
कुछ पतझर के मौसम सी
गुमसुम बेजान उम्मीदों से भरे हुए
...

20.
कुछ ऐसे भी ज़माने थे I

वो मंदिर की चौखट थी,
चप्पल जाने पहचाने थे I
वो छम छम बारिश में थिरकते,
घुंघरुओं के अफ़साने थेI
...

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