Shobha Khare

Shobha Khare Poems

जाने के दिन कह जाऊँगी
मै अपने जीवन का सार
जो देखा, जो पाया उसकी
तुलना करना है बेकार
...

हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश विधि हाथ
घटता है यह हादसा, मित्र सभी के साथ
चाहे दुश्मन उम्र भर करता रहे उपाय
तेरा हक संसार मे, कोई छीन न पाय
...

जितनी जिसकी पात्रता, उतना ही फल पाय
जैसे लोटे मे कभी, सागर नहीं समाय
हीरा रास्ते मे पड़ा, सबकी ठोकर खाय
बिना जौहरी रत्न भी, पत्थर समझा जाय
...

क्यों परेशान समय से, समय है पहेलवान
बड़ो - बड़ो के समय ने काट दिये है कान
समय न बिकता है कभी कौन चुकाए दाम
समय किसी का न होता गुलाम I
...

यश - वैभव के ठाट- बाट,
अब सभी झमेले लगते है
पथ कितना भी हो भीड़ भरा
दो पाँव अकेले लगते है I
...

सबको मिलता समय से, यश धन सत्ता नाम
एक तुम्हारे ही नहीं, सबके दाता राम
इस सराय मे रुके है कितने ही मेहमान
कोई कितने दिन टिके यह जाने भगवान
...

जिस दिन मेरा नाम न होगा
उस दिन ही मै तर जाऊँगी
सपनों से छुटकारा पा कर
तुझ मे नया जन्म पाऊँगी
...

जीवन मे दोनों आते है
मिट्टी के पल, सोने के क्षण,
जीवन से दोनों जाते है
पाने के पल, खोने के क्षण
...

अब तक रहे देखते सब को
अब तुम मेरी ओर निहारो
सब के बीच जगह थोड़ी सी
दे कर, कृपया मुझे उबारो
...

आओ सब मिल कर एक साथ
हम अपने कदम बढ़ाये
युग युग से रहे उपेछित जो
हम उन को गले लगाये
...

धीरज धरो, न छोड़ो साहस
होने वाली है अब जय
अंधकार छटने वाला है
स्वय भाग जाएगा भय
...

तुझ को राखी बांध सकी तो
मै दुनिया से बंध जाऊँगी
कोई बंधन मुक्त न होगा
प्यार जगत का मै पाऊँगी,
...

खिलने से पहले झरती जो
वह कलिका भी कुछ कह जाती
है वह भी नदी सार्थक जो
पथ नहीं मरुस्थल मे पाती
...

नाश भी हू मै अनंत विकास का क्रम भी,
त्याग का दिन भी चरम आसक्ति का तम भी,
तार भी आघात भी झँकार की गति भी,
पात्र भी मधु भी मधुप भी मधुर विस्मृत भी;
...

चाहा था तुझ मे मिटना भर,
दे डाला बनना मिट- मिट- कर,
यह अभिशाप दिया है या वर,
पहली मिलन - कथा हू या मै,
...

यह बादल क्यो घिर आते तनहाई के,
कोतूहल मन को छू लेते अपनी वीणा बजाकर;

छा जाती उदासी भूल ना पाती
...

मेरेतेरे बीच न आए
तनमन की बाधा कोई
तब पावन प्रकाश से मै ने
निज जीवनवीणा धोई
...

The Best Poem Of Shobha Khare

जीवन का सार

जाने के दिन कह जाऊँगी
मै अपने जीवन का सार
जो देखा, जो पाया उसकी
तुलना करना है बेकार


चिंता है दीवार नाम की
ओछी रह न किसी से जाय
अरे! नाम के पीछे मै ने
अपने क्ष्रर्ण अनमोल बिताय

मिथ्या है धारणi कि हमको
नाम लाभ यह पहुचiएंगा
हम न रहेंगे नाम हमारा
दुनिया मे पूंजा जाएगा II

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