vijay gupta Poems

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71.
Faith

आस्था
निर्मल हिमखंडों के बीच से अवतरित गंगा,
सदियों से हमारी आस्थाओं को संभाले है।
आज भी शाम के धुंधलके में,
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72.
यात्रा प्रकृति की

यात्रा प्रकृति की

रात्रि का प्रथम पहर,
नदी किराने सरकंडों के झुंड,
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73.
लाडला बिगड़ा नहीं

लाडला बिगड़ा नहीं


सामने जो खड़ा है पेड़ आम का
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74.
सांझ का सूरज

सांझ का सूरज

सांझ के सूरज को देखा
वो घबराया-घबराया सा लगा।
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75.
Swings On The Mango Tree

आमिया पर झूले

पढ़ते थे अमिया पर झूले
अब नदारत वो हो गये।
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76.
राजनीति

राजनीति

चौपाल बटॅ गई
चौराहे बटॅ गये,
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77.
सफर

सफर

रेल में करते हुए सफर,
मैंने शहर को दूर से देखा।
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78.
घरौंदा

घरौंदा

तिनका-तिनका जोड़कर,
घरौंदा एक बनाया था।
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79.
इंसानी चट्टानें

इंसानी चट्टानें

एक जहां मैंने भी देखा है,
सड़क के उस पार नाले की तलहटी में।
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80.
निर्मोही पतझड़

निर्मोही पतझड़
मौसम अंगड़ाई ले रहा,
आहट गर्मी की हो रही।
सर्दी का आतंक,
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