AKHIL GUPTA
Kaisi Ye Azadi
हमने देखा था एक सपना,
देखा था एक सपना स्वतंत्र मज़बूत भारत का,
हमने सोचा था कभी,
सोचा था कभी हम फिर सोने की चिड़िया कहलायेगे,
हमने चाहा था कभी,
चाहा था कभी हम भी जाति धर्म से उठकर एक जुट हो जायेगे,
मगर ये हो न सका,
हो न सका क्यूकि:
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