Dr. Navin Kumar Upadhyay Poems

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हे मेरे प्राणप्रियतम, प्रिय प्राण!
हो तुम, कृपानुग्रहकारी महान।

तूने किये मुझपर अनन्त उपकार,
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हे जातवेदा! करते आवाहन, करुणामयी पुरष्कारकारिणी।
सव^सुख समृद्धि सिद्धि अधिष्ठात्री, सुभग शीश सिन्दूर धारिणी।।
चन्द्र आभा सम सुशीतल आनन, सरसिज हार सुशोभिनीम्।
पीतवणा^ आनना महादेवि, बनिये मम उर गेह वासिनीम्।।
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हे देवि! करते आवाहन, करुणा- कृपावर्षिणी,
सुख-वैभव ऐश्वर्य प्रदायिनी।
सकल सम्पत्ति अधिष्ठात्री महादेवी,
कनक माल मनहर धारिणी।।
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हम करते अभिनँदन नमन, महादेवी,
साज सज पधारेंगी तुरँत अभी-अभी।
जगत अधिष्ठात्री देवी निवास करें,
निज करुणा नयन न मूँदें कभी।।
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127.
सकल सुख सँपदा जगत

129.
रात का वक्त,

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