हमेशा दरवाजे बन्द मिलते हैं, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हमेशा दरवाजे बन्द मिलते हैं,

जब भी आया तेरे दर पर,
हमेशा दरवाजे बन्द मिलते हैं,
तू तो अन्दर से झाँक लेता,
लेकिन
हम तो तुम्हें न देख पाते हैं,
शायद खुशनसुबों को
तेरे दर्शन मिल पायेंगे,
और
हम तो ईंतजार
करते-करते,
बिना देखे.ही,
मर जायेंगे।

Tuesday, April 25, 2017
Topic(s) of this poem: love
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