हम तो आये थे तेरे दर सिज्दा करने, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

हम तो आये थे तेरे दर सिज्दा करने,

हम तो आये थे तेरे दर सिज्दा करने,
आ गए अब जब, तब क्या जाना कहीं;
मन ने भी दे दिया जबाब,
अब और कहीं जाना नहीं।

Tuesday, October 30, 2018
Topic(s) of this poem: love
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