लेखनी चाहती कुछ आराम कर लेना, Poem by Dr. Navin Kumar Upadhyay

लेखनी चाहती कुछ आराम कर लेना,

लेखनी चाहती कुछ आराम कर लेना,
जुबान चाहता, कुछ मौन रहना;
न कुछ भी कहना, केवल देखना-सुनना।

Monday, November 19, 2018
Topic(s) of this poem: love
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