|| जटिल नहीं बहुत ही सरल है तू || Poem by Anand Prabhat Mishra

|| जटिल नहीं बहुत ही सरल है तू ||

जटिल नहीं बहुत ही सरल है तू
प्रेम सी अति निर्मल है तू
जहां देखूं हर ओर है तू
जैसे चारो दिशाओं में सिर्फ तू ही तू
जेठ की धुप, सावन की बूंद तू
संसार की सबसे अद्भुत रचना तू
पवित्र मन की सुंदर कल्पना तू
प्रभु की पूजा अर्चना तू
तू मधुर संगीत, हर धुन में तू
वीणा की हर तार में तू
स्वर, राग, लय, ताल में तू
तू नदियां, झरनो में तू
तू पहाड़, वादियों में तू
पेड़, पत्ते, पक्षिओं में तू
तू हवाओं में, घटाओं में तू
सागर तू, साहिल तू
चाँद तारे आसमान तू
तू पूरी दुनिया पूरी संसार तू
तू मेरे हृदय में, हर साँस में तू
मेरे सुख, मेरे दुःख में तू
मेरी उदासी, मेरी मुस्कान में तू
मेरी पीड़ा, मेरी आंसुओं में तू
मेरी अंतिम क्षण, आखिरी साँस भी तू
मेरे विलीन देह में तू
भस्म के कण कण में तू
मेरी अंतिम अवशेष तू
मेरे हर जन्म में
मुझमे प्रेम की समावेश तू ।


|| आनन्द प्रभात मिश्र ||

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