विचार्रों का वहन .. Vahan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

विचार्रों का वहन .. Vahan

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विचार्रों का वहन
बुधवार, ५ अगस्त २०२०


गुरुजी सादर प्रणाम,
गुरुजी आशा करता हूँ और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि आप पूर्ण रूप से स्वस्थ रहे।।
आपने मेरी छोटी सी कल्पना को पसंद किया और इसे सराहा आपका बहुत - बहुत धन्यवाद
गुरुजी आप मेरे मार्ग दर्शक हैं मैं आपसे बहुत कुछ सीखना चाहता हूँ।
आपका छोटा सा शिष्य.... (शरद भाटिया)

ये गरिमा ये भाव
मुझे प्रिय लगा स्वभाव
बात धन्यवाद की नहीं
आपने अनुभूति की बात कही।

लिखते तो सभी है
समा भी बांधते है
सीमा भी लाँगते है
और आदर भी करते है।

में भावुक हो जाता हूँ
समझ ने कि कोशिश करता हूँ
ऐसा क्या है जुबान और लिखने की शैली में?
क्या लुफ्त है पढ़ने में और जबान मैली रखने में।

ये सोच का फर्क है
सोचो तो संसार नर्क है
गंदगी को निकाल दो तो स्वर्ग है
कमरा भी वही है वर्ग भी वही है।

दिमाग में एक पवित्र गंगा का वहन है
दिमाग में चलनेवाले बुरे विचारों का दहन है
दुष्टों के लिए अच्छाई का कफ़न है
सब कुछ बुराइयों के लिए दफ़नगाह है।

यदि नदी बहती रहे तो सरिता है
पानी पवित्र और अमरिता है
कहना चाहो तो माता सरस्वती है
संसार को रक्षा देनेवाली माँ भगवती है।

डॉ. जाड़ीआहसमुख

विचार्रों का वहन .. Vahan
Tuesday, August 4, 2020
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 04 August 2020

यदि नदी बहती रहे तो सरिता है पानी पवित्र और अमरिता है कहना चाहो तो माता सरस्वती है संसार को रक्षा देनेवाली माँ भगवती है। डॉ. जाड़ीआ हसमुख

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Sharad Bhatia 04 August 2020

गुरुजी सादर प्रणाम, मेरी औकात से ज्यादा दे दिया, . मैने सोचा भी ना था, इतना मान सम्मान दे दिया।। अब क्या मांगू रब से, . आपने पूरा जहाँ मुझे उपहार मे दे दिया।। कैसे आभार व्यक्त करूँ, मेरी औकात ही नहीं, कि मैं ईश्वर को अंक दूँ।।

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2020

S. R Chandralekha Wah 👏 I salute you sir. 👏 Wonderful weaving Of words. 🙏🙏🙏 1 Hide or report this Like · Reply · 2w · Reply · 14m

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2020

welcome s r chandrslekha Edit or delete this Like · Reply · 14m

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 August 2020

welcome Affaq Naibe 1 Edit or delete this Like · Reply · 14m

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Mehta Hasmukh Amathalal 05 August 2020

Date & Time: 8/4/2020 9: 31: 00 PM Remove this comment Poem: 58906360 - विचार्रों का वहन.. Vahan Member: Sharad Bhatia Comment: गुरुजी सादर प्रणाम, मेरी औकात से ज्यादा दे दिया, . मैने सोचा भी ना था, इतना मान सम्मान दे दिया।। अब क्या मांगू रब से, .

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Mehta Hasmukh Amathalal 05 August 2020

Date & Time: 8/4/2020 9: 31: 00 PM Remove this comment Poem: 58906360 - विचार्रों का वहन.. Vahan Member: Sharad Bhatia Comment: गुरुजी सादर प्रणाम, आपने पूरा जहाँ मुझे उपहार मे दे दिया।। कैसे आभार व्यक्त करूँ, मेरी औकात ही नहीं, कि मैं ईश्वर को अंक दूँ

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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