Ajay Srivastava Poems

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311.
स्वतन्त्रा

जाति धर्म के नाम पर लड़ने के लिए
जगह - जगह गंदगी फैलाने के लिए
भ्रटाचार को बढ़ावा देने के लिए
अपने कर्तव्यों को भूल जाने के लिए
...

312.
कमजोर

कहाँ पर है विद्रोह, चुप रहना कैसे सीख लिया।
मनुष्यता कैसे अन्याय होते देख रही है, हर गलत कार्य को सही मान रही है।
जोश से भरा हुआ स्वर कहाँ खो गया, किसने उस स्वर को दबा दिया.।
रास्ते तो हम सब के एक है, तो इच्छा शक्ति कहा खो गयी।
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313.
India

Knocking heart of everyone.
Attention of mind & soul of every people
Joy of doing constructive&meaningful work.
On our own soil with full devotion.
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314.
क्यों

सौंदर्य से भरपूर प्रकृति चारो तरफ हरयाली बिखेरती।
ना किसी से उसका मूल्यों का अवलोकन करने को कहती।
छितिज को छू मानो हम से कहती मेरी सम्पदा का आनद उठा लो।
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315.
Outlook

Scathing attack for selfish personal gain.
On their own motherland with some mischievous intention.
Need a careful evaluation of different ideology.
Awareness of different problems in their true&right prospective.
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316.
अनुपालन

भाव का अर्थ समझना है।
प्रयास है अनुपालन का
सभी का नहीं तो
किसी एक तो आत्मसात कर ले।
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317.
जैसे

मंद मंद बहती हवा
जैसे प्रचार तंत्र की शुरुवात का आगास कराती।

चिड़यो की चह-चाहाट
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318.
Free

Far from reality everyone interested in personal gain.
Region is the priority of every individuals.
Entry of wasted interest is wide open.
Ego is house hold name in the society
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319.
श्रेष्ठता

दिल में खूबसूरत फूल की तरह।
तो कभी नन्ही पारी की मुस्कान जैसी।
एक पल हरी भरी बेल का एहसास दिलाती हो।
तो दूसरे ही पल योवन में कदम रख जाती हो।
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320.
सीख

देश के अंदर हो, या देश के बहार
देश की सीमा पार से हो
हवाई मार्ग से, जल मार्ग से
हर बाधा को पर कर, हर दिशा से आते है।
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