Ankit Kumar Srivastava

Ankit Kumar Srivastava Poems

मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता है,
दीपक।
परसों मुझसे मिला तो
बड़े शिकायती लहजें में कहने लगा।
...

मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता है,
दीपक।
परसों मुझसे मिला तो
बड़े शिकायती लहजें में कहने लगा।
...

The Best Poem Of Ankit Kumar Srivastava

पैकेज की फेर में फंसा दीपक...........

मेरे पड़ोस में एक लड़का रहता है,
दीपक।
परसों मुझसे मिला तो
बड़े शिकायती लहजें में कहने लगा।
आजकल खिड़की से झांकने से भी डर लगता है।
हर निगाह तरेरती है,
घूरती है मुझे,
अनजान निगाहें भी
पूछती है मुझसे,
पढ़ा-लिखा तो बहुत
अब क्या कर रहे हो?
"घर पर बैठा हूं"
यह जवाब सुनते ही
भावुक हो जाते है
फिर बेपरवाही की हद से देखते है।
इग्नोर मारते है,
हें चले आते है कहां-कहां से
येवों ही।
ट्रिंग-ट्रिंग बजते ही
मैं सिहर उठता हूं।
अब कौन-सा दोस्त
या रिश्तेदार है उधर,
जो ये पूछ बैठेगा
तब क्या चल रहा है आजकल,
‘कुछ नहीं'
बोलते ही बिना रूके कई सवाल
इसमें कुछ भी बुरा नहीं लगता
बुरा लगता है सिर्फ तंज भरा
अंदाज।
मैं तो किसी से नहीं पूछता
लेकिन लोग अक्सर ही तोलने के
लिए पूछ लेते है
क्या पैकेज मिल रहा है।
जवाब में कुछ कहने पर
कोई मामा के बेटा,
कोई मौसेरे भाई के
लाखों के पैकेज का उदाहरण पटक मारते है।
अद्भूत संतुष्टी का भाव लिए
उनका चेहरा देख
अजीब कोफ्त़ होती है।
झूठ नहीं बोलूंगा
कई बार गुस्सा भी आता है।
उनपर नहीं
अपन पर।
ऐसे लोगों के गिले-शिकवे भी
अजीब होते है।
कोई मेरे रचनात्मक,
जनकल्याणकारी कार्यों के बारे
में जानने का इच्छुक नहीं है।
हालांकि प्रायः मेरी दीपक से
लगभग हर मुद्दे पर बहस हो
जाती थी।
बहस, सामान्य वाद-विवाद से
कुछ आगे की
लेकिन उसके इस शिकायत से
मुझे कोई शिकायत नहीं थी।
पूरी तरह सहमती में
सिर हिलाते हुए
मैंने पूछ ही डाला
तो आगे क्या करना है?

Ankit Kumar Srivastava Comments

Ankit Kumar Srivastava Popularity

Ankit Kumar Srivastava Popularity

Close
Error Success