Kanupriya Gupta

Kanupriya Gupta Poems

सारे सुर फीके लगते है
भाता कोई मीत नहीं है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है
...

जहाँ भी गए हो चले आओ अब
की वो उम्मीद जो जाते समय
मेरे आँचल में रखकर चले गए थे
वो तुम्हारे इंतज़ार में मुरझाने लगी है
...

वक़्त से जुड़ गए रूह से मेरी जुड़े तो नहीं हो
तुम मुझे जितने मयस्सर हो पूरे तो नहीं हो

हमने तो हर शय में तमन्ना की तुम्हे चाहने की
...

Kanupriya Gupta Biography

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The Best Poem Of Kanupriya Gupta

Tum Nahi To Koi Geet Nahi

सारे सुर फीके लगते है
भाता कोई मीत नहीं है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है

सांझ में दिखती ना लाली
चंदा की चुनर भी काली
फूल लगे जैसे कुम्हलाए
बेकस मन को क्या समझाए
तड़प तड़प कर याद करे बस
दुखते मन की रीत यही है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है

साहिल पे आकर लहरें भटके
कही नेपथ्य में नैना अटके
कोई मुसाफिर बंजारा सा
भटका पंछी आवारा सा
खुशियाँ आने से घबराएं
गम होकर बैठे ढीठ यही है
तुम थे तो संगीत मधुर था
तुम नहीं तो कोई गीत नहीं है

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