KAVIKUMAR SUMIT

KAVIKUMAR SUMIT Poems

वृद्धजन खुली किताब हैं

हाँथ में लाठी मन में आशिष
निर्भय पौधों को सींचें ख्वाब हैं
...

The Best Poem Of KAVIKUMAR SUMIT

वृद्धजन खुली किताब हैं

वृद्धजन खुली किताब हैं

हाँथ में लाठी मन में आशिष
निर्भय पौधों को सींचें ख्वाब हैं
समसामयिक इतिहास की बारिस
वृद्ध जन खुली किताब हैं

तर्क-वितर्क भेद न रंजिश
सब दुर्गुण के दाब हैं
हंसी ठिठोली न कोई बंदिश
हर व्यंजन और स्वाद हैं

राम राज राह रवि हर्षित
जाड़े में सुखदायी आग हैं
लाड़-प्यार मुस्काते सचरित
रसिक प्रेम के बाग़ हैं

करते क्यूँ इनको हो उपेक्षित
सब बालक ये बाप हैं
संगति कर जो होता संचित
दुनिया का शाह-ए-बाद है

कवि - कविकुमार सुमित

KAVIKUMAR SUMIT Comments

KAVIKUMAR SUMIT Popularity

KAVIKUMAR SUMIT Popularity

Close
Error Success