Geet Chaturvedi Poems

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1.
The Memory of Now

(For Eduardo Chirinos)

Downstairs I left a candle burning
In its light I'll read a few lines when I return

By the time I returned the candle had burned out
Those few lines had faded like innocence

You walk with me
The way moon walks along with a child sitting in a train window

I stood in the balcony one day
Waved a handkerchief toward the sky

Those who have gone without saying their goodbyes
Will recognize it even from far

In my handkerchief they have left behind their tears
The way early humans left behind their etchings on cave walls

Lyotard said, every sentence is a now
No. Actually it's a memory of now

Every memory is a poem
In our books, the count of the unwritten poems is so much more
...

2.
(OTHER) WORLDLY FOLK TALE

Once upon a time, there was a Seed. It had an Earth. They both loved each other. The Seed rollicked and rolled in the lap of the Earth, and wanted to remain there forever. The Earth kept it secure within her arms and would repeatedly urge it to sprout. The Seed was reluctant. The Earth thirsted in fecund heat. One day, it rained and the Seed could not defer its sprouting. Half-heartedly, it put forth shoots and soon thereafter became delightfully absorbed in growing. Mental abstraction is a delightful idyll too. It grew a good deal and rose to a great height. The earth does not grow in height but spreads out. Much as a tree may expand by spreading out, its upward growth is its identity.

They both grew apart. The roots stayed in the ground, so to speak, but to date, who has ever regarded roots as trees? A tree is that which furthers itself away from the earth. If it remained glued, it would be grass. The Tree wishes to go back being a Seed again. The Earth wishes to take back her blessing. It saddens the Tree that it can never again become that single Seed. However, it would certainly turn into a thousand seeds. The Earth would never be able to feel the soft touch of that very same Seed. For her, the Tree would merely be a shadow.

Every single thing in life does not have an obverse to it. Night is not a dark Day, and Day is not a bright Night. Moon not a cold Sun, and Sun not a hot Moon. The Earth and the Sky meet nowhere. Nowhere at all.

I go and stand very near the Tree and whisper, You hear me, you are Seed even now. That very same Seed. Don't let height intoxicate you. Even now you are not grown. You are merely Earth's imagination.

All trees grow in imagination. In memory, they always remain seeds.
...

3.
चंपा के फूल

(दो अजीब और अविश्वसनीय चीज़ों को जोडऩे का काम
करते हैं उम्मीद और स्वप्न
बुनियाद में बैठा भ्रम विश्वास का सहोदर है
उस कु़रबत का आलिंगन
जो तमाम दूरियों से भी ताउम्र निराश नहीं होती)

कहा था, काँच हूँ, पार देख लोगे तुम मेरे
मेरी पीठ पर क़लई लगाकर ख़ुद को भी देखोगे बहुत सच्चा
जिस दिन टूटूंगा, गहरे चुभूंगा, किरचों को बुहारने को ये उम्र भी कम लगेगी
तुमसे प्रेम करना हमेशा अपने भ्रम से खिलवाड़ करना रहा
स्वप्न में हुए एक सुंदर प्रणय को उचक कर छू लेना चाहता हूँ
लेकिन चंपा मेरी उचक से परे खिलती है
मैं उसकी छाँव में बैठा उसके झरने की प्रतीक्षा करता हूँ
एक अविश्वसनीय सुगंध
उम्मीद की शक्ल में मेरे सपने में आती है
मुझे देखो, मैं एक आदमक़द इंतज़ार हूँ
मैं सुबह की उस किरण को सांत्वना देता हूँ
जो तमाम हरियाली पर गिरकर भी कोई फूल न खिला सकी
चंपा के फूलों की पंखुडिय़ां सहलाता हूँ
उनकी सुगंध से ख़ुद को भरता तुम्हारे कमरे के कृष्ण से पूछता हूँ
चंपा के फूल पर कभी कोई भंवरा क्यों नहीं बैठता
दो पहाडिय़ों को सिर्फ़ पुल ही नहीं जोड़ते, खाई भी जोड़ती है
...

राजकुमारी महल के बाग़ में विचर रही थीं कि एक काँटे ने उनके पैरों के साथ गुस्ताख़ी की और बजाय उसे दंडित करने के राजकुमारी बहुत रोईं और बहुत छटपटाईं और बड़े जतन से उन्हें पालने वाले राजा पिता तड़पकर रह गए और महल के गलियारों और बार्जों में खड़े हो धीरे-धीरे बड़ी हो रही राजकुमारी के पैरों से किसी तरह काँटा निकलवाया और हुक्मनामा जारी करवाया कि राज्य में काँटों की गुस्ताख़ी हद से ज़्यादा हो गई है और उन्‍हें समाप्त करने की मुहिम शुरू कर दी जाए पर योजनाओं के असफल रहने और मुहिमों के बाँझ रह जाने की शुरुआत के रूप में ढाक बचा और ढाक के तीन पात बचे तो राजा ने आदेश दिया कि सारे राज्य की सड़कों और महल के पूरे हिस्से की ज़मीन पर फूलों की चादर बिछा दी जाए पर चूँकि फूल बहुत जल्दी मुरझा जाते हैं सो यह संभव न हुआ तो राजा ने अपने एक भरोसेमंद मंत्री को इसका इलाज निकालने की ज़िम्मेवारी दी तो उस मंत्री ने बजाय सारी ज़मीन पर फूल बिछाने के राजकुमारी के पैरों पर ध्यान जमाया और नर्म कपड़े की कई तहों को चिपकाकर मोटी-सी कोई चीज़ बनाई और राजकुमारी को पहना दी जिसके पार काँटा क्या काँटे का बाप भी नहीं पहुंच सकता था और इस तरह एक आदिम जूते का निर्माण हुआ हालाँकि जूतेनुमा एक चीज़ बनाने वाले उसे मंत्री क़िस्म के मानव ने राजकुमारी क़िस्म की किसी महिला के पैरों को काँटों से बचाने के लिए इलाज ढूंढ़ने से पहले ख़ुद भी कई बार काँटों को भुगता था और दूसरे तमाम लोगों के भी काँटा चुभते देखा था पर नौकर की जमात का वह व्यक्ति मात्र स्वामीभक्ति के पारितोषिक के लिए ही जूता बना पाया।
...

बहुत ख़ुश लगा पड़ा था और यहाँ-वहाँ देखते थोड़ा गर्व भी
अग़ल-बग़ल बैठे थे जो थोड़ा-थोड़ा कनखियों से झाँक लेते तो
सामने वाला पूरा का पूरा झुक पड़ा था और वह भी छिपाने का छद्मप्रयास कर रहा था
जभी मैंने पूछा उस आदमी ने एक बार भी ना नहीं किया
तुम बता रहे हो जितनी आसानी से वह आ गया था तुम्हारे पास
वह पूरा मुँह खोलकर बोला हाँ
और जितनी बातें वह बता चुका था फिर-फिर बताने लगा

कैसा लगा तुम्‍हें उस वक़्त
क्या तुम्हारे लिए घड़ी बंद हो गई थी
उसने बताया मैंने उसे बहुत नज़दीक से देखा
और अनमनी नींद के सपने की तरह छुआ
उसकी हथेलियों से पसीना रिसता है
हमेशा मुस्कुराता है और ऑटोग्राफ़ बुक्स का सम्मान करता है
मेरे रिश्तेदार के कंधे पर हाथ रखे आमिर ख़ान शांत था
मेरे रिश्तेदार की ख़ुशी चार बाई छह के फोटो से छलक रही थी
वहाँ एक फ़ोटोग्राफ़र था जो तुरंत फ़ोटो निकालकर दे रहा था

मुझसे पहले कइयों ने खिंचवाया था
मुझसे मिलते समय वह बिल्‍कुल घर का लगा
वह ईसा नहीं था पर उसके भीतर एक ईसा था
सही है जब भी जाऊँगा उसके पास वह नहीं पहचानेगा मुझे
कुत्ते उसके दरवाज़े पर हुल्लड़ करेंगे
यह तस्वीर दिखाने के बावजूद मुझे घर में नहीं घुसने देंगे
पर यही क्या कम है कि उसने तस्वीर खिंचवाई मेरे साथ
मेरा वह रिश्तेदार अपना स्टेशन आने के बाद लोकल से उतर गया
तो जाते-जाते अपनी प्रसन्नता फिर बाँच गया वह

तस्वीर के साथ क़ीमती ख़ुशियाँ लाया है
जिनकी छाँह में चांदी की पट्टी पर नाचेगा
लोकल के धक्कों में लय ढूंढेगा
कुछ दिनों तक सिर्फ़ एक पल में जिएगा


(१९९८)
...

6.
एक इंच

कोई एक नाम ज़रूर होगा
इस पेड़ का
मेरे लिए पेड़ सिर्फ़ एक पेड़ है
फूल सिर्फ़ एक फूल
रास्ते ने ओढ़ रखी है
पेड़ से झरते फूलों की चादर
मैं इस रस्ते पर चलता हूँ
कहाँ रखूँ अपने क़दम
काश! मैं ज़मीन से एक इंच भी ऊपर चल सकता
इन अनाम फूलों को बचा लेता
...

7.
बोलने से पहले

बुद्धिमान लोगों की तरह बोलो
नहीं तो ऐसा बोलो
जिससे आभास हो कि तुम बुद्धिमान हो

बोलने से पहले
उन तलवारों के बारे में सोचो
जो जीभों को लहर-लहर चिढ़ाती हैं

यह भी सोचो
कि कर्णप्रिय सन्नाटे में तुम्हारी ख़राश
किसी को बेचैन कर सकती है
कई संसारों में सिर्फ़ एक बात से आ जाता है भूडोल

खुलो मत
लेकिन खुलकर बोलो
अपने बोलों को इस तरह खोलो
कि वह उसमें समा जाए
वह तुममें समाएगा तो तुम बच जाओगे

बोलने से पहले ख़ूब सोचो
फिर भी बोल दिया तो भिड़ जाओ बिंदास
तलवारें टूट जाएँगी
...

8.
ठगी

वह आदमी कल शिद्दत से याद आया
जिसकी हर बात पर मैं भरोसा कर लेता था
उसने मुस्कुरा कर कहा
गंजे सिर पर बाल उग सकते हैं
मैंने उसे प्रयोग करने के लिए ख़र्च नज़र किया
(मैं तब से वैज्ञानिक क़िस्म के लोगों से ख़ाइफ़ हूँ)

उसने मुहब्बत के किसी मौक़े पर
मुझे एक गिलास पानी पिलाया
और उस श्रम का क़िस्सा सुनाया निस्पृहता से
जो उसने वह कुआँ खोदने में किया था
जिसमें सैकड़ों गिलास पसीना बह गया था

एक रात वह मेरे घर पहुँचा
और बीवी की बीमारी, बच्चों की स्कूल फीस
महीनों से एक ही कपड़ा पहनने की मजबूरी
और ज़्यादातर गुमसुम रहने वाली
एक लड़की की यादों को रोता रहा
वह साथ लाई शराब के कुछ गिलास छकना चाहता था
और बार-बार पूछता
भाभीजी तो घर पर नहीं हैं न

वह जब मेरे दफ़्तर आता
तब-तब मेरा बॉस मुझे बुलाकर पूछता उसके बारे में
उसके हुलिए में पता नहीं क्या था
कि समझदार क़िस्म के लोग उससे दूर हो जाते थे
और मुझे भी दूरियों के फ़ायदे बताते थे
जो लोग उससे पल भर भी बात करते
उसे शातिर ठग कहते
मुझे वह उस बौड़म से ज़्यादा नहीं लगता
जो मासूमियत को बेवक़ूफ़ी समझता हो
जिसे भान नहीं
मासूमियत इसलिए ज़िंदा है
कि ठगी भूखों न मर जाए
...

9.
गैंग

अलग-अलग जगहों से आए कुछ लोगों का एक गैंग है
इसमें पान टपरी पर खड़े शोहदे हैं,
मंदिरों-मस्जिदों पर पेट पालते कुछ धर्मगुरु हैं,
कुछ लेखक हैं, थोड़े अजीब-से लगने वाले रंगों का
प्रयोग करने वाले कुछ चित्रकार और
हर ख़बर पर दाँत चियार देने वाले कुछ पत्रकार
नाक पर चश्मा चढ़ाए बैठे मैनेजर हैं जो
हर बात में ढूंढ ही लेते हैं बाज़ार
कुछ बहुत रचनात्मक क़िस्म के लोग हैं
जो बताते हैं ठंडे की बोतल का एक घूँट सारे रिश्ते-नातों से ऊपर है
कुछ बड़े ही दीन-हीन क़िस्म के हैं
चौबीस घंटे जिनकी चिंता का मरकज़ अरोड़ा साहब की सेलरी है
कुछ लोग सातों दिन बड़े प्रसन्न रहते हैं
और समझ में नहीं आता कि दुनिया में दुख क्यों है
और कुछ की ख़ुशी केवल वीकेंड में आती है
चिकने गालों और मजबूत भुजाओं वाले कुछ नट हैं
एक ख़ास ढब वाली स्त्रियाँ हैं जिनके घरों में रोते हुए शिशु नहीं होते
जो टारगेट पर दागी गई मिसाइल की तरह सीधे आ गिरते हैं
कइयों के पास दुनिया को व्यवस्थित करने के हज़ारों फंडे हैं
कुछ लोगों के होठों पर शिवानंद स्वामी के काव्य बराबर रहते हैं
और कुछ लोगों के गले में कुमार शानू के गीत

यह गैंग अपने समय की बड़ी प्रतिभाओं का प्लेटफॉर्म नंबर वन है
यह गैंग किसी भी हँसते-खेलते देश के सीने पर सवार हो जाता है
और किसी भी अंगड़ाती नदी पर डंडा मार उसे छितरा सकता है
यह गैंग मुझे जितनी बार बुलाता है
मेरा दिल धक् से रह जाता है
...

10.
जीसस की कीलें

तुम्हारी तीसरी आंख की बरौनी टूटकर तुम्हारी तीसरी आंख के पानी में तैर रही है

स्याही से दीर्घजीवी होते हैं उकेरकर लिखे गए शब्द
आत्मा की भुजा पर बना गोदना तुम्हारा आकार है
पेड़ पर उगे पत्ते चिडिय़ा के गीत हैं

इन दिनों कोई चिडिय़ा तुम्हारे पेड़ पर नहीं बैठती
और मैंने भी तुम्हें ख़त लिखना बंद कर दिया है

तुमसे दूरी तुमसे मोह है
मोहित मैं प्रागैतिहास में रहता हूं
अकेला लेटा संकरी एक गुफा में उंगलियों से खुरचकर भित्तिचित्र बनाता हूं

पुरातत्व की शौक़ीन तुम अपनी लाइब्रेरी में जिस खुरच को सराहती हो
उसमें मेरे घिसे हुए नाख़ूनों का बुरादा भी है

लोकल ट्रेन की चौथी सीट की तरह अंड़सा हुआ हूं तुम्हारी स्मृति में
जो बीत गया वह भूत है मेरे सपनों में भूतों का डेरा है

कुछ देर के लिए किसी पुराण में चला जाऊं ले आऊं वह क्षुरप्र बाण जो
सौ चंद्रों वाली क्रूरता की ढाल और तुम्हारी उपेक्षा की तलवार
सबको एक वार में चीरकर रख दे

मैं भय का आराधक हूं
शक्ति भी भय देती है जो जितना शक्तिशाली वह उतना भयभीत है

मुझे चूमो नख से चूमो शिख तक चूमो आदि से चूमो अंत तक चूमो
मैं सादि हूं सांत हूं सो अनंत तक नहीं करनी होगी तुम्हें कोशिश
इसी देह में कहीं मेरे खुलने की कुंजी है
हर अंग चूमो हर कोई चूमो
एक सच्चा चुंबन पर्याप्त है मुझे खोल देने के लिए

पर ऐन सही जगह पर सच्चा चुंबन अत्यंत दुर्लभ घटना है

जीसस को चुभी कीलें टीस के पौधों के रूप में उगती हैं

रक्त की धार हरी लताओं की तरह
मुझ पर लिपटती ऊपर चढ़ती हैं
...

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