एक दिन शहर का एक साहूकार
जिसे अपने धन और बच्चों से था बहुत प्यार
एक दिन परलोक सिधार गया
और यमराज के सामने पधार गया
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Sahukar Ki Maut
एक दिन शहर का एक साहूकार
जिसे अपने धन और बच्चों से था बहुत प्यार
एक दिन परलोक सिधार गया
और यमराज के सामने पधार गया
यमराज ने चित्रगुप्त को बुलवाया
उसका बही-खाता खुलवाया
और बोले-इसने गरीबों का बहुत खून चूसा है
इसके शरीर पर जोंक छोड़ दो या
खाल उधेड़ दो।
साहूकार निर्भीकता से बोला
सर मैं तो कई सालों से खून चुसवा रहा हूँ
और खाल भी खिंचवा रहा हँू
क्योंकि मैं कई सालों से अपने बच्चों को
‘रेपूटेटड’ पब्लिक स्कूल में पढ़ा रहा हूँ