BINAY SHUKLA Poems

Hit Title Date Added

रात के अँधेरे में,
शंटिंग ट्रेनों के खेमे में
विधवाओं सी सजी संवरी उन्मुक्त नव यौवनाये
फटे ढोलों की थाप पर
...

ना चीखी, ना चिल्लाई,
ना ही पीटा छाती उसने,
पास खड़ी सखियाँ सोचें हैरत से,
हुआ अजूबा कैसा भाई,
...

Close
Error Success