प्यारा नही फिर, दुलार देता है कोई
सासे जीवन की, मुझसे लेता है कोई
बाहो के घेरोसे लिपटता है कोई
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तराशकर पत्थरों की तकदिर लिख दी
गुलामी के खिलाफ बगावत की सीख दी
बरसो पडे पत्थरों की धुल हटाकर फुंक दी जान
भीमने बेजुबानो को जुबान और चीख दी
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आँख से अरमाँ भी सदियो से उतरा नही
कत्ल हो हररोज पर खून का कतरा नही
मुर्दो की तरह जिता हु सवारकर तकदिर जलता हु रोज पर मौत का खतरा नही
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धर्मार्ंध विषमतेची,
होत आहेस तु कळी पुन्हा.
शिक्षणाच्या शस्त्राविणा,
जाइल तुझा बळी पुन्हा
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डोळस, हातात काठी धराया लागले
कुंपने, शेतं बिनधास्त चराया लागले
जप करी मासे बगळ्यांच्या सत्संगी
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जाम चढाये कितना, अंजाम न आए कोई
होश बढाये कितना पैगाम न आए कोई
जुस्तजु हो गयी मजार दिले- बेकसी की
एक ताज और बनाता, मकाम न आए कोई
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शेतीच्या तासातासात जिंदगी मी पेरली
माझ्या घामातुन त्यांची गोदामं भरली
हुंकाराची रव माझी हवेतच विरली
व्यवस्थेन निर्धनांची सुखी स्वप्न चोरली
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'तु माझ्या जगन्याचे आशय
जन्मजात हा तुझा वसा
तुझ्याच थेंबा थेंबां पासुन
जिवनास ह्या आधार जसा
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उजला तो सूरज है
अंधेरे का ईलाज हो जाए
और रोशन हो जाए आँखे अगर
तो फिर जहाँ भी जाए पुरब हो जाए
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नको बनु तु सावली; माणसाच्या प्रतीमेची,
नको बनु तु माऊली; देवताच्या प्रतीमेची.
नको तुझे अपहरण; पुरे अग्ऩीपरीक्षा,
इतिहास नव्याने घडव आता
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बुद्धाच्या तेजोमय किरणात न्हाऊ
लाभल्या इन्द्रियाने धम्मज्ञान घेऊ
आपल्या यथाभूत स्वरुपाला पाहू
मानवाला सुखाचा मंगलपथ दाऊ
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रंग सरड्यांचे वदनी पडू लागले
मुखवट्याखाली चेहरे दडू लागले
दृष्टी जाणु कशी मी कुण्या लोचना
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इन्सान कहनेवालो इन्सानियत तो जान लो
बिखरा पडा है सोना आखो अपने छान लो
समशान जिन्दगीयो बर्बाद डाली डाली
धनवान कहनेवालो धनवानियत तो जान लो
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खुळे बींब आरश्याचे तोडलेस का असे
पोरखेळ आयुष्याचे मांडलेस का असे
हा लगाव भावनांचाआशेच्या शेजारी
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वाहीलेे होते कधी मी,
जे पोथीत राहीलेले.
वाचले होते कधी मी,
नव्हते जे पाहिलेले.
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बेज़रो की बस्ती में
रोशनी का नक़्स हैं
जुल्म से टकराते चरागों में
भीम का अक्स हैं
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जलाता है कोई
प्यारा नही फिर, दुलार देता है कोई
सासे जीवन की, मुझसे लेता है कोई
बाहो के घेरोसे लिपटता है कोई
तन्हाई मे मुझसे सिमटता कोई
हर पल है जीना, मौत से बेखबर
पास भगवन मेरे, बैठता है कोई
भुजाओ को मेरे छाटता है कोई
अस्थीयो को मेरे काटता है कोई
औरो के लीए मरना, यही है जीना
जीतेजी अंग मेरे बाटता है कोई
चारा हु मै मुझपे पलता है कोई
देखकर मुझे राह चलता है कोई
राख मेरे बिना तेरी, होने न पाये
मृतको के संग जलाता है कोई