rishabh shukla Poems

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1.
बचपन

उसे बचपन न समझो वह फुल सी कली है!
जहा न हो बच्चे वह कौन सी गली है! !
कुछ की होती है गर्भ मे हत्या!
तथा कुछ करते है यौवन मे आत्महत्या! !
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