sahare shayar Poems

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बाँध कमर में आज युवा तू इंकलाब के नारों से
पूँजीवाद को ढेर करो अब जनमत के अधिकारों से
खन खन करती लाख बेड़िया जोर लगादो टूटेगी
काटो अब शोषण की कड़ियाँ लेनिन की तलवारों से
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hiiiii frnds
this is सहारे शायर
रात की नींद से जागने के बाद अक्सर ये दिल कुछ यूँ महसूस करता है......कि तेरे ख्वाब, तेरी बातें, तेरी चाहत, तेरी आहट, तेरी दिल की धड़कन, और मेरी बेचैनियों की तडपन.................मुझे सोने नहीं देती
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