एक छोटा सा संवेदन है
करुणा है और बस रुदन है
हाथों में प्याला भावों का
होठों पर आत्म निरीक्षण है
...
उठो परिंदे मरोगे और क्या?
उड़ोगे आसमान में, तो
फिर गिरोगो और क्या! !
कुछ केहकर इस कदर
...
इन आंखो के नूर से जो कहानी लिखी जाती है
प्यासे दरिया होते हैं लब्ज पानी होती है
मोहब्बत, वफादारी, दरियादिली, , सब साथ है
...
नफरत को हटाओ मुहब्बत को जिंदा करो
मरे हुए इंसान को फिर से जज्बा करो
गलती से जो खोया भूषण तूने
आंखों के उस अश्क को फिर से सजदा करो
...
सरहदों पर कुछ लहू जो टपके
शहीदों के,
जिस्म से निकल हिंदुस्ता में भर गया
सहादत देख वीरों की पूरी देश सेना बन गया
...
he is an Indian poet and author.)
एक छोटा सा संवेदन है
एक छोटा सा संवेदन है
करुणा है और बस रुदन है
हाथों में प्याला भावों का
होठों पर आत्म निरीक्षण है
यह समय बड़ा ही विलक्षण है
चिड़िया आती है गाती है
सब अपने घर को जाती है
हम खड़ा यहां यू बाट जोहते
क्या मान लूं मैं मधुशाला को
अपने कवि की उस रचना को
पथिक बनू और चल दूं राह को
एक पकड़ के सीधा
शर्त मगर मेरी इतनी है
साथ रहे मेरी पीरा
और गीत बने मेरी हाला
शर्त मगर मेरी इतनी है याद रहूं मैं तुझको
भूलना चाहो फिर भी तुम भूल न पाओ मुझको
शर्त मगर मेरी इतनी है साथ रहे मेरी पीड़ा
और गीत बने मेरी हाला
उसको भी हैं हक हम पर वह भी तो जान लूटाती है
बिना बुलाए ही मेरे पास हमेशा आती है
मदीरा का है शौक मगर मधुशाला को नहीं जाना
संभव हो तो घर भिजवादो व पुरानी प्याला
वापस कर दो मेरी बिखरी व प्यारी सी हाला //