Siddhant Oys

Siddhant Oys Poems

न्यूटन और आर्किमिडीज की
प्रयोगशालायें
क्रमशः
और विकसित हो
...

मैं
बोलीविया की
एक झील था,
झील में घुला
...

तुम्हारी
यादों के पुलिंदे
और एक ख़त
मेरी टाँण पर
...

अभी कल ही की बात है
जब मैंने बोये थे
कुछ आखिरी शब्द
कागजों पर
...

राइनोसोरस की तरह ही,
अब तुम्हारी यादें भी
संरक्षित हैं.............
ताख पर रखे
...

The Best Poem Of Siddhant Oys

प्रयोगशाला

न्यूटन और आर्किमिडीज की
प्रयोगशालायें
क्रमशः
और विकसित हो
एक रोज इंसान को
चाँद तक ले जाती हैं,
धरती पर पिंकी को
स्माइल पिंकी बनाती हैं,
इन सबके बीच
वैज्ञानिक ईश्वर को
पछाड़ने की होड़ रखते हैं,
कपाटों में बंद ईश्वर
विज्ञानिओं की
हद तय करते हैं,
भीड़ भक्तिभाव से
ईश्वर का ध्यान करती है,
सहसा नेपथ्य से
आवाज आती है
प्रयोगशालाओं से आगे
दुनियाँ और भी है.……
पर्दा गिर जाता है ॥

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