मुद्दत से अमन-शांति चिल्ला रहे हैं लोग।
बारूद रस्ते में बिछाए जा रहे हैं लोग।
होटों पे हंसी, मुस्कुराहट बरकरार है,
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चाल हम पर एक भी, दुश्मन की चल पाई नहीं.
कोई भी ताक़त इरादों को बदल पाई नहीं.
मौत भी थर्रा उठी, दीवानगी को देख कर,
गोलियां सीने पे झेलीं , पीठ पर खायीं नहीं.
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आपकी यादों के साये सामने आते रहे....
गम के साज़ों पर ख़ुशी के गीत हम गाते रहे....
छोर आँचल का दबा मुंह में वो मुस्काना तेरा,
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वक़्त की करवट की संग में भी पलट कर रह गया।
मेरा साया मेरे क़दमों से लिपटकर रह गया।
आंसुओं की धार बनकर बह चला मेरा वजूद,
कल का समुन्दर आज क़तरों में सिमटकर रह गया।
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मुख से निकले शब्द आपके,
ब्रह्म-वाक्य बन जाएँ।
सूर्य, चन्द्र, तारागण मिलकर,
कीर्ति आपकी गायें।
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उतरे अमावस रात्रि में, हे पूर्णिमा के चन्द्रमा।
तुम थे अखण्डित-राष्ट्र की पावन सुगन्धित आत्मा।
तुमने जगायी चेतना, फूंके मृतो में प्राण भी।
होगये तनकर खडे, जीवित तो क्या निष्प्राण भी।
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नन्हा-मुन्ना एक कबाड़ी।
उगी न मूंछ न आई दाढ़ी।
सात साल की उम्र थी उसकी।
करे खुशामद जिसकी-तिसकी।
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zero, zero, one.
love hate none.
zero, one, two.
all can you do.
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सब जल चुका है आग में बाकी है अब धुआं।
तुमने धुंए को आँख का काजल बना दिया।
बुझता हुआ चिराग क्या रौशन करे जहाँ,
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राजा-राजा ऊपर बैठे, रंक-रंक सब नीचे।
आगे-आगे राजा जावें, बाकी उनके पीछे।
ज़रा बगाबत की बू आई, पकड़ ले गए राज-सिपाही,
राजा के आगे ला पटका, जैसे हो माटी का मटका,
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