तरूण❤❤
मेरे मन के धागे तेरे दिल से लागे, तू सुन तू सुन।
दिल आवारा लागे तेरे पिछे भागे, तू सुन तू सुन ।।
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बेताब परिंदा तरुण
एक पंछी को खौफ लिए उड़ते देखा
बेताबी आसमान में किंदरते देखा।।
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कहीं मैं खुद ही खुद में खो न जाऊ
पीर बहुत हो दिल मे पर रो न पाऊ।
अनायास ही बैचैन रातो में सो न पाऊ,
गुज़रिश है ये खुदा से की तुझसे ऐसा मिलु,
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आयी ऐसी शाम थी मैं मोम सा जल जल पिघल रहा था,
वो सजी थी दुल्हन सी, जी देखने को मचल रहा था।।
उसका रूप चाँद सा और यौवन चांदनी से बिखर रहा था,
वो चंचल _तरुण_काया सी, मेरे शब्र का बाण टूट रहा था।
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तोहमत की आड़ में ज़हनसीब,
अटखेलियां कम ही रखना इकरार में,
भाँप के गुरूर में कोहरे से ना टकराना,
लुप्त हो जाओगे सर्द बाज़ार में।
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आजादी का अरूणोदय हमें कुछ संदेश देता है,
जागरूक प्रहरी हो तुम,
वह कर्तवय का प्रणेता है।
भूल मत जाना कहीं
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ऐ जो मेरी भीगी भीगी सी लिखावट है,
लगता है इसमें मेरे अश्को की मिलावट है।।
ऐ जिन्दगी,
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तू सुन✍️
तरूण❤❤
मेरे मन के धागे तेरे दिल से लागे, तू सुन तू सुन।
दिल आवारा लागे तेरे पिछे भागे, तू सुन तू सुन ।।
रातों रातों जागे, कुछ न है तेरे आगे,
बन के आवारा घूमूं, तुझको ही मैं सोचू।।
कुछ नहीं लागे मेरे जीवन में आगे,
तू सुन तू सुन तू सुन🤗
मन बावरा लागे, रात और दिन जागे,
तू सुन तू सुन तू सुन ।।।।
📖तरूण बड़घैया✍️
अधूरा ये खुदरंगी भी ना साहब किसी काम की नहीं आज कल शराब ही बनो तो ठीक है।। ये खुदरंगी भी ना साहब किसी काम की नहीं आज कल शराब ही बनो तो ठीक है।। 📖 तरुण बडघैया✍️ तरुण बडघैया✍️
कटाक्ष...। मैंने तेरे खिल्लियो की रूई से एक मखमल सी चादर बनाई, और ओढ़ के सो गया।। 📖तरुण बडघैया✍️.