vivek sachan

vivek sachan Poems

तुम्हारा सवाल कौधता है जेहन में मेरे...
तब से
जब से
पूछा था तुमने 'क्या तुम कविता करते हो..'
...

बहुत से ख्वाब मैंने
टूटते बिखरते देखे है
इन आँखों से
तुम भी एक हिस्सा हो
...

The Best Poem Of vivek sachan

क्या तुम कविता करते हो? ?

तुम्हारा सवाल कौधता है जेहन में मेरे...
तब से
जब से
पूछा था तुमने 'क्या तुम कविता करते हो..'
तब जवाब नही था पास मेरे
निशब्द था मै
मौन था मैं
अपनी भावनाओ की तरह
पर आज कहता हूँ
शब्द शब्द को चुनता हूँ...
मैं नाम से तेरे................
हाँ मै कविता करता हूँ..
बस इंतजार में तेरे....
हाँ मैं कविता करता हूँ बस इंतजार में तेरे......
मेरा हर एक शब्द तेरा गुलाम है...
हर नफस में बस तेरा नाम है....
कुछ सवाल और उनके जवाब
कभी नही सुना था मैंने..
तुम जो उतर गयी थी नजरों में..
फिर कोई और नही चुना था मैंने...
जिंदगी में शब और सहर का...
अब कोई ठिकाना ना था...
रातें बीती थी सुधियो में या सपनों में तेरे.......
दिन कहते बीत गए मै हूँ इंतजार में तेरे.....
हाँ मै हूँ इंतजार में तेरे....
............................विवेक सचान.....

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