Madhusudan Bishnoi Poems

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1.
अफ़सोस तुम नहीं हो..!

सर्द घनी रात के कोहरे में तुम्हारी बाहों को तरसती हैं  मेरी बाँहें..
सन्नाटे का शोर तुम्हारी साँसों की आवाज़ बनकर सताता हैं मुझे...
झील के पानी में वो पेड़ की परछाई जैसे तुम्हारी आँखों में मेरी तस्वीर उतर आई हो...
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