Megha Bairwa

Megha Bairwa Poems

1.

मैं तो तेरी मीरा छलिए
राधा कहाँ से होऊँ।
इक मिला तेरा तन मन
मैं बस बाट जोऊँ।
...

ज़िद्दी हो, अड़ियल हो, नकचढ़े हो,
शैतान के नाना हो तुम,
अब क्या कहूं..बच्चे हो तुम।
...

The Best Poem Of Megha Bairwa

Meera

मैं तो तेरी मीरा छलिए
राधा कहाँ से होऊँ।
इक मिला तेरा तन मन
मैं बस बाट जोऊँ।

इक रूठे तू जान मनाए
मुझ रूठी कौन मनाए।
मैं तो तेरी मीरा छलिए
राधा कहाँ से होऊँ।

इक व्याकुल हे प्रेम को तेरे
मैं बस दरस को व्याकुल।
तेरी एक झलक पाने को
पग पग छाना गोकुल।

इक करे श्रिंगार तेरे लई
मैं तो सुध बुध खोई।
बैरागन सी घूमूँ बन में
मैं तो बावरी होई।

इक देखे जग में तुझको
मैं जग तुझमें देखूँ।
जो दिख जाए इक वारी तू
तो मैं और क्या देखूँ।

मैं तो तेरी मीरा छलिए
राधा कहाँ से होऊँ।
इक मिला तेरा तन मन
मैं बस बाट जोऊँ।

Mgh

Megha Bairwa Comments

Sagar Patil 29 April 2022

I kept on hearing that u never said, i kept weaving dreams without reasons I don't know whose evil gaze caught me there is no more place for me in this heart anymore....sgr...

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