शोर मची है है हंगामा हिन्दू मुस्लिम कहते हैं
ढोंगी मदारी गिरगिट जैसे लोग यहाँ भी रहते हैं
जिन्होंने अपनी बीवी को भी इज़्ज़त ना सम्मान दिया
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सदभाओ का पैग़ाम है बिहारी एलेक्शन
हिंदू ना मुसलमान है बिहारी एलेक्शन
नफ़रत की सियासत को हम पहचान गए हैं
जनता का है फ़रमान ये बिहारी एलेक्शन
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(रे बदरा रे)
घटा घनघोर बन कर गरजता क्यों फ़क़त है
पता है जानता हूँ मेरे घर पे ना छत है
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मैं दुआओं का तेरे तलबगार हूँ
तेरी फ़ुर्क़त के ग़म में मैं बेज़ार हूँ
किस्से अपनी सुनाऊँ दिल-ए-दास्ताँ
तुझसा ग़मख़ार मेरा ना है राज़दाँ
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खोल दिया दरवाज़ा दिल का आजा जाने जाना
यूँ तो देखे लाख हसीना मगर कोई तुझसा ना
होजाएं दीवाने लड़के जिधर से भी तू जाए
मटक मटक के चलना तेरा दिल को मेरे भाए
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ओ जाने वफ़ा तूने मुझको भुला डाला
हमने तो हंसाया था तूने रुला डाला
मैं ज़िंदा रहूँगा अब कैसे ज़माने में
मुझे ग़म के समंदर में तूने गिरा डाला
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रंग बिरंगे रंगों का त्यवहार मुबारक हो
हर पल हर दिन सबको ये हरसाल मुबारक हो
खेल रहे हों अवध में जैसे राधा कृष्ण रंगोली
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गुफ़्तुगू करले तू आ मेरे तू पास आ
तन्हां हूँ मैं तेरे बिना मुझको यूँ अब ना सता
तू साज़ है परवाज़ है, मेरी ज़िन्दगी का राज़ है
गाता रहूँ वह गीत है क्यों होगई पल में खफा
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ईद मुबारक हो सभी को ईद मुबारक हो
ख़ुशी की ताज़ा किरण खिली ख़ुर्शीद मुबारक हो
माफ़ करो और माफ़ी मांगो छोटे बड़े गुनाहों से
ऐसा कुछ करजाओ जो दुःख दर्द निवारक हो
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इंसानियत को शर्मसार करके
बेबस को लाहक़ गिरफ़्तार करके
नफ़रत की दहलीज़ दहशत का साया
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हुई जो ख़ता है उसे माफ़ करदो
गुरु जी हमारे हमें पास करदो
गुरु जी हमारे हमें पास करदो
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फ़िज़ा ज़हरीली है लेकिन अभी इंसान बाक़ी है
सदाक़त भाईचारे पे जो हो क़ुर्बान बाक़ी है
मिलेगा दीन व दुन्याँ की हर एक पेचीदगी का हल
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हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई हर भाई को टेंशन है
ये बेचैनी बता रही है अब नज़दीक इलेक्शन है
मंदिर मस्जिद की क़ुरबानी मज़हब ज़ात में दंगे बाज़ी
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खेल रहा है वक़्त कबड्डी खींच कर एक लकीर
बचपन में हम राजा थे अब बनगए यार फ़क़ीर
कंचे कुश्ती चोर सिपाही आँखमिचौली कैरम टिप्पो
ढून्ढ रहा हूँ खेल वही और अपनी वही ख़मीर
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होकर दूर वतन से पंछी बंद क़फ़स में रहता है
आँखें नम हैं दिल अफ़्सुर्दाह हर पल आँहें भरता है
है मजबूरी घर से दूरी पैसे चार कमानें हैं
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जय नेताजी जय परधान उजली कुर्ती मुंह में पान
बेटा खाए शाही खाना भूक मरे मज़दूर किसान
दफ्तर का अफसर हो या फिर गाओं शहर का थानेदार
सौ में अस्सी चोर लुटेरा नव्वे है बेईमान
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(ग़ज़ल)
कहीं चहकेगी बुल बुल और कहीं गुल मुस्कुराए गा
ढलेगी रात अँधेरी सवेरा लौट आए गा
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चेहरा देखता हूँ ख्यालों में अपने
वह हर पल मुझे याद आने लगी है
कभी उसकी बातें कभी उसकी यादें
मेरे दिल को बेहद लुभाने लगी है
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मेरी ज़िंदगानी अधूरी कहानी ये बंजर जवानी तू आबाद करदे
मोहब्बत की ज़ंजीर में क़ैद हूँ मैं तुझे वास्ता रब का आज़ाद करदे
मुक्ति दे......... मुक्ति दे....... मुक्ति दे............ मुक्ति दे
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लड़कियों के आज रिश्तों से भरा अखबार है
पास में पैसा है जिसके उसका बेड़ा पार है
कर दिया बेटी की शादी जितने भी ज़रदार थे
उनका क्या होगा बताओ जिसको ज़र ना यार है
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शोर मची है है हंगामा हिन्दू मुस्लिम कहते हैं
शोर मची है है हंगामा हिन्दू मुस्लिम कहते हैं
ढोंगी मदारी गिरगिट जैसे लोग यहाँ भी रहते हैं
जिन्होंने अपनी बीवी को भी इज़्ज़त ना सम्मान दिया
ऐसे लोग महिलाओं के हक़ की बातें करते हैं
हम अहले ईमान हमारी ये पहचान शरीअत है
जीने का हर तौर तरीक़ा अमल ईमान शरीअत है
ये जुरअत तरमीम की तेरी जान मेरी लेसकती है
दख़्ल शरीअत में हरगिज़ मंज़ूर नहीं करसकते हैं
By: नादिर हसनैन
Verry nice