मेरी यादो के टुकडे, तुम जोडते रह जाओगे ।
मै तो दरिया हूँ, मेरी धार तुम रोकते रह जाओगे ।
याद आऐंगे तुम्हे वो हसीन लम्हे गुजरे ।
मै आँसू बन के बहूंगा, तुम पोछते रह जाओगे ।
तेरी आबाद दुनिया का मै एक फूल था ।
तुम्हे तो अपने महकते हुस्न पर गुरूर था ।
अब तो नही होते सहन शनम तेरे नखरे ।
मै जहाँ से चला जाऊँगा, तुम रोकते रह जाओगे ।
मैने हर जुल्म सहे तेरे दिल मे जगह पाने को ।
मैने तो विष पिया अमृत तुम्हे पिलाने को ।
मै तो रग - रग मे बसा हूँ दिलरूबा तेरे ।
बसेरा था दिल मे किसका तुम पूछते रह जाओगे ।
मै तो दीपक था, काश तुम लौ बन गई होती ।
सदियों तक जलती सदा मेरे प्रेम की ज्योति ।
मै तो अब पिघलता हूँ, मोम सा धीरे-धीरे ।
मै वक्त सा गुजर जाऊँगा तुम देखते रह जाओगे ।
चाँदनी रातो की रोशनी तुम्हे याद आएगी ।
तब अकेलेपन की आहट तुम्हे अक्सर सताएगी ।
बादलों से झड के ओस सा सूख जाऊँगा सबेरे ।
मै हलक से उतर जाऊँगा तुम सोचते रह जाओगे ।
सृजन- अशोक
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मेरी यादो के टुकडे, तुम जोडते रह जाओगे । मै वक्त सा गुजर जाऊँगा तुम देखते रह जाओगे।.... आपकी अभिव्यक्ति में गंभीरता है और शैली में व्यापकता है. बहुत बहुत धन्यवाद. कुछ शब्द सुधार लें जैसे शनम = सनम / मैने हर जुल्म सहे = मैंने हर ज़ुल्म सहा / झड = झड़