ऐसा क्या हुआ
ऐसा क्याहुआ,
कभी हम दोनों के बीच रति भर जगह ना थी,
अब खाई बन गई।।
ऐसाक्या हुआ,
कि धुआँ भी नहीं उठा,
और यकायक जिंदगी मे आग लग गई।।
ऐसा क्या हुआ,
कभी एक दूसरे का हाथ थाम कर जीने मरने की कसमे खाते थे,
अबअलग होने का "Agreement Sign" करते हैं ।।
ऐसा क्याहुआ,
कभी एक दूसरे की बात सुना करते थे,
अब एकदम चुप हो गए ।।
ऐसा क्या हुआ,
कभी एक दूसरे को देखे बिना नहीं खाते थे,
अब अकेले खा रहे हैं।।
ऐसा क्या हुआ,
कि एक बंद कमरे में होकर भी,
अनजान बन गए।।
ऐसा क्या हुआ,
कि हमेशा मुस्काने वाला चेहरा,
मुरझा सा गया।।
ऐसा क्या हुआ,
कभी शब्द चुप नहीं होते थे,
अब खामोश से हो गए।।
एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से
(शरद भाटिया)
मजबूर लाचार और बेबस इंसान की कहानी इतनी बस कभी हालात कभी नसीब और कभी खुद अपनी नादानियों का शिकार होकर रह जाता है।।। बहुत बढ़िया लिखा आपने १०+++++
Bhut aacha rachna hai. Bas aap pehle wali hod me Na wo badhe Aur na hum thame Reh gaye rasse ke do choor Wahan wo gumsum Aur yaha mai khamosh. Behtareen rachna. Aabhar.
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वास्तव में ही यह एक प्यारा सा अहसास है. ऐसा नहीं कि इस ठंडेपन का कोई कारण न हो. कभी कभी बहुत छोटी छोटी बातें भी गहरी चोट दे जाती हैं. अच्छा चित्रण. धन्यवाद.