ऐसा क्या हुआ Poem by Sharad Bhatia

ऐसा क्या हुआ

Rating: 5.0

ऐसा क्या हुआ

ऐसा क्याहुआ,
कभी हम दोनों के बीच रति भर जगह ना थी,
अब खाई बन गई।।

ऐसाक्या हुआ,
कि धुआँ भी नहीं उठा,
और यकायक जिंदगी मे आग लग गई।।

ऐसा क्या हुआ,
कभी एक दूसरे का हाथ थाम कर जीने मरने की कसमे खाते थे,
अबअलग होने का "Agreement Sign" करते हैं ।।

ऐसा क्याहुआ,
कभी एक दूसरे की बात सुना करते थे,
अब एकदम चुप हो गए ।।

ऐसा क्या हुआ,
कभी एक दूसरे को देखे बिना नहीं खाते थे,
अब अकेले खा रहे हैं।।

ऐसा क्या हुआ,
कि एक बंद कमरे में होकर भी,
अनजान बन गए।।

ऐसा क्या हुआ,
कि हमेशा मुस्काने वाला चेहरा,
मुरझा सा गया।।

ऐसा क्या हुआ,
कभी शब्द चुप नहीं होते थे,
अब खामोश से हो गए।।

एक प्यारा सा एहसास मेरी नन्ही कलम से
(शरद भाटिया)

Sunday, August 30, 2020
Topic(s) of this poem: feelings,sad love
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 30 August 2020

वास्तव में ही यह एक प्यारा सा अहसास है. ऐसा नहीं कि इस ठंडेपन का कोई कारण न हो. कभी कभी बहुत छोटी छोटी बातें भी गहरी चोट दे जाती हैं. अच्छा चित्रण. धन्यवाद.

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M Asim Nehal 30 August 2020

मजबूर लाचार और बेबस इंसान की कहानी इतनी बस कभी हालात कभी नसीब और कभी खुद अपनी नादानियों का शिकार होकर रह जाता है।।। बहुत बढ़िया लिखा आपने १०+++++

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Varsha M 30 August 2020

Bhut aacha rachna hai. Bas aap pehle wali hod me Na wo badhe Aur na hum thame Reh gaye rasse ke do choor Wahan wo gumsum Aur yaha mai khamosh. Behtareen rachna. Aabhar.

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