डर गया हूँ मै
यूंतोःकोईनहीं जानता
किसीकेदिलकाहाल
कहने कोसबहै
कहने कोसबहै
असलमें
कुछनहींहैमेरे पास
असलमें
कोईनहीं है मेरे पास
दिल से हुँबहौतमजबूर
मुस्कुराना पड़ता ह
दिल से हूँ बहौतमजबूर
पर
लोगो कोदिखानापड़ता ह
कुछ तो अजीब है
जो में यूँ खोया खोया रहता हूँ
पर किसी केपूछते ही
जनाब क्या हॉल?
पलट कर ठीख है ज़रूरकहताहूँ
में कहता हूँ
क्यों क्या हाल का जवाब
ठीख हुँही देना पड़ता है
क्यों झूट का पर्दा
इस चेहरे पे डालना पड़ता है
क्यों बिना दिल के
भी मुस्कुराना पड़ता है
क्यों रोते हुवे मन से
ठीख है कहना पड़ता है
भिनभिना सा गया हूँ
इस दुनिया से में
देख के दिखावा
अब डरता हूँ में
एक छोटे से कोने में
एक छोटे से घर में
कैद होना चाहता हूंमें
उसी में बस जाना चाहता हूँ में
इस दुनिया के दिखावे से
सहम सा गया हूँ में
अब तो
डर गया हूँ मै
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